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सरकारी विज्ञापन में जा रहा पैसा जनता का, सरकार बताए किसको कितना दे रही

सरकारी विज्ञापन में जा रहा पैसा जनता का, सरकार बताए किसको कितना दे रही

The Quint
Friday, July 30, 2021 12:27:19 PM UTC

Government Media Ad: सरकारी विज्ञापन में जा रहा पैसा जनता का, सरकार बताए किसको कितना दे रही. सरकारी विज्ञापन की मात्रा और पेमेंट में पारदर्शिता जरूरी The media is sold out!' – a phrase journalists often hear while doing their job.

मीडिया बिका हुआ है! पत्रकारों को अपना काम करते हुए अक्सर यह सुनने को मिलता है, दिल्ली की सीमा पर किसानों के प्रदर्शनों को कवर करते हुए कई पत्रकारों को ऐसी बात सुननी पड़ी, चूंकि प्रदर्शनकारियों को महसूस हो रहा था कि उनके विरोध प्रदर्शन की खबरें केंद्र सरकार के एंगल से दिखाई-छापी जा रही थीं. जब मीडिया के एक तबके ने उन्हें ‘खालिस्तानी आतंकवादी’ कहा तो प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ऐसा सरकार के इशारे पर किया गया है.तो क्या इस दावे में सच्चाई है कि सरकार मीडिया को ‘काबू में’ करने की कोशिश करती है? और क्या प्रेस विज्ञापन वह वित्तीय ‘लीवर’ है जिसे सरकारें मीडिया को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल करती हैं?इसका सीधा सा जवाब है- हां, यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकारें, दोनों सभी तरह के मीडिया, खासकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक पर विज्ञापनों के लिए अपना खजाना खोल देती हैं.लोकसभा में एक संसद सदस्य के लिखित सवाल के जवाब में ब्यूरो ऑफ कम्यूनिकेशन (बीओसी) ने यह जानकारी दी कि तीन वित्तीय वर्षों में न्यूजपेपर विज्ञापनों पर केंद्रीय मंत्रालयों ने कितना खर्च किया. ये इस प्रकार है:स्नैपशॉटवित्तीय वर्ष 2017-18 - 462.22 करोड़ रुपएवित्तीय वर्ष 2018-19 - 301.03 करोड़ रुपएवित्तीय वर्ष 2019-20 - 128.96 करोड़ रुपएलेकिन पूछिए कि सरकारी योजनाओं और नीतियों के प्रचार के लिए इस्तेमाल होने वाला पैसा किसका है? यह आपका पैसा है, टैक्सपेयर का पैसा। ‘सरकार का पैसा’ जैसी तो कोई चीज़ होती ही नहीं, यह तो ‘टैक्सपेयर का पैसा’ होता है.ADVERTISEMENTसरकार के दूसरे खर्चों की ही तरह, इस मामले में भी टैक्सपेयर यह तय नहीं कर सकता कि विज्ञापनों पर पैसा कैसे खर्च किया जाना चाहिए, लेकिन पारदर्शिता का क्या? इस संबंध में कुछ गाइडलाइंस हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को विज्ञापन कैसे बांटने हैं, इस पर सरकार की तरफ से बहुत कम, या यूं कहें कि पादर्शिता है ही नहीं.लोगों को यह जानने का पूरा हक है कि सरकार उनके पैसे को कैसे इस्तेमाल कर रही है और इसके लिए सरकार को पारदर्शिता रखनी चाहिए, उसे अपनी वेबसाइट पर विज्ञापन का विवरण देना चाहिए.जवाहर सरकार, प्रसार भारती के पूर्व सीईओADVERTISEMENTकेंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 2020 में मीडिया हाउसेज को विज्ञापन देने के लिए नए...
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