
श्रीलंका भारत को नहीं लौटाएगा कच्चातिवु द्वीप, भारत में जारी सियासी जंग पर श्रीलंकाई मंत्री का आया बयान
AajTak
श्रीलंका के मंत्री डगलस देवानंद ने कहा है कि कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका के कब्जे से वापस लेने के बयानों का कोई आधार नहीं है. श्रीलंकाई मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कच्चातिवु द्वीप को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस और डीएमके पर निशाना साधा है.
कच्चातिवु द्वीप को लेकर भारत में गरमाई सियासत के बीच श्रीलंका के मत्सयपालन मंत्री डगलस देवानंद ने कहा है कि कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका से वापस लेने के भारत के बयानों का कोई आधार नहीं है. मंत्री ने आगे कहा कि भारत में चुनाव का समय है. ऐसे में कच्चातिवु द्वीप को लेकर बयानबाजी नई बात नहीं है.
सालों पहले कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को दिए जाने को मुद्दा बनाते हुए भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और डीएमके के खिलाफ हमलावर है. 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार में हुए एक समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया गया था.
कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका से वापस लेने का कोई आधार नहींः श्रीलंकाई मंत्री
श्रीलंकाई मंत्री ने जाफना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, " कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका के कब्जे से वापस लेने के बयानों का कोई आधार नहीं है. साल 1974 में हुए समझौते के अनुसार दोनों देश के मछुआरे दोनों देशों के समुद्री क्षेत्र में मछली पकड़ सकते थे. लेकिन साल 1976 में इसमें संसोधन किया गया. जिसके बाद दोनों देशों के मछुआरों को पड़ोसी देशों के समुद्री क्षेत्रों में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
श्रीलंका के मत्सयपालन मंत्री डगलस देवानंद ने आगे कहा कि भारत के कन्याकुमारी के नजदीक वेड्ज बैंक है. यह कच्चातिवु से 80 गुना बड़ा है. 1976 में हुए समीक्षा संसोधन के तहत वाड्ज बैंक और उसके संपूर्ण संसाधनों पर भारत ने संप्रभुता हासिल की. मुझे लगता है कि भारत इस जगह को सुरक्षित रखने के लिए अपने हितों के अनुसार काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रीलंकाई मछुआरे उस क्षेत्र तक नहीं पहुच सकें और श्रीलंका को उस संसाधनपूर्ण क्षेत्र पर किसी भी अधिकार का दावा नहीं करना चाहिए.
150 से ज्यादा भारतीय मछुआरों को किया गया है गिरफ्तार

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






