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यूपी: चुनाव ड्यूटी में अपनों को खोया, अब टीचरों का परिवार लाल-फीताशाही में अटका

यूपी: चुनाव ड्यूटी में अपनों को खोया, अब टीचरों का परिवार लाल-फीताशाही में अटका

The Quint
Sunday, September 05, 2021 03:05:46 AM UTC

uttar pradesh covid: यूपी में पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान मरने वाले टीचरों का परिवार अब मुआवजे और नौकरी के लिए परेशान है, up panchayat elections duty teachers covid death families struggling for compensation and jobs

26 वर्षीय नवीन कुमार कहते हैं, "मेरे पिता एक असिस्टेंट टीचर थे और हमें फोर्थ क्लास कर्मचारी की नौकरी दी जा रही है." नवीन के पिता तिलकधारी शर्मा का इस साल मई में निधन हो गया था. 58 वर्षीय शर्मा एक सरकारी स्कूल टीचर थे.तिलकधारी यूपी के चंदौली जिले में एक अपर प्राइमरी स्कूल में असिस्टेंट टीचर के तौर पर कार्यरत थे. परिवार का दावा है कि इस साल कोविड की दूसरी वेव के पीक के दौरान अप्रैल और मई में आयोजित किए गए पंचायत चुनाव में वो ट्रेनिंग, चुनाव और मतदान ड्यूटी पर थे. तिलकधारी शर्मा की चुनाव नतीजे आने के महज दो हफ्ते बाद 15 मई को मौत हो गई थी."उन्हें चुनाव के अलावा किसी चीज से मतलब नहीं था. उन्होंने आयु या किसी और समस्या को भी ध्यान में नहीं रखा. उन्हें वैक्सीन भी नहीं लगी थी और उनसे हर परिस्थिति में ड्यूटी पर जाने को कहा गया. इंसानी जिंदगी की कोई कीमत नहीं."नवीन कुमारADVERTISEMENTलाल-फीताशाही से परेशान पीड़ित परिवारमरने वाले के परिवार को मुआवजा और नौकरी राहत देता है लेकिन इससे मृत टीचरों के पीड़ित परिवारों की मुश्किलें खत्म नहीं हो जाती हैं. ऐसे ही एक टीचर का परिवार नौकरी लेने में लाल-फीताशाही की दिक्कत की शिकायत करता है. मृतक बृजेश कुमार त्रिपाठी की पत्नी प्रियंका त्रिपाठी कहती हैं, "मैंने शादी के बाद अपना सरनेम 'शुक्ला' से 'त्रिपाठी' कर लिया था. अब मुझसे कहा जा रहा है कि उसे दोबारा 'शुक्ला' करना होगा तभी नौकरी मिलेगी. ये तो सबको पता है कि शादी के बाद औरतें अपना सरनेम बदल लेती हैं. मुझे समझ नहीं आता कि मैं दो छोटी बच्चियों की देखभाल कैसे करूंगी." (नोट: भूलवश वीडियो में सरनेम त्रिपाठी की जगह तिवारी बोल दिया गया है.)ADVERTISEMENTबृजेश गोरखपुर में असिस्टेंट टीचर के तौर पर कार्यरत थे. उनका इसी साल 27 अप्रैल को कोरोनावायरस से निधन हो गया.""पहले हमें बताया गया कि क्लर्क की नौकरी दी जाएगी. जब हमने संबंधित विभाग से संपर्क किया तो बताया गया कि क्लर्क की कोई वैकेंसी नहीं है. तो फिर हमने ग्रुप डी नौकरी के बारे में सोचा. अब पूरी प्रक्रिया सरनेम पर अटकी हुई है."विपिन बिहारी शुक्ला, बृजेश के सालेADVERTISEMENTटीचरों की कोविड मौतों के आंकड़े में भी गड़बड़काफी आलोचना के बाद यूपी सरकार ने ड्यूटी पर हुई कोविड मौतों को माना था. इसके लिए टीचर संगठनों औ...
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