
बांग्लादेश में एंटी-इंडिया एजेंडे को चीन का समर्थन? कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी नेताओं के बीजिंग दौरे से उठे सवाल
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बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों की जड़ें मजबूत होने और चीन के साथ उनका मजबूत गठजोड़ क्षेत्र की राजनीतिक स्थिरता और भारत के लिए चिंता पैदा करने वाला है. क्योंकि बांग्लादेश में जैसे-जैसे इस्लामिक ताकतें मजबूत होंगी, वैसे-वैसे वहां हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार बढ़ेगा.
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के निर्वासन के बाद बांग्लादेश में लगातार भारत विरोधी गतिविधियां बढ़ रही हैं. मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के कार्यकाल में बांग्लादेश में हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, यहां तक कि मंदिरों पर भी हमले अब आम बात हो गई है. इसके साथ ही बांग्लादेश की कट्टरपंथी इस्लामिक ताकतें चीन के साथ गठजोड़ बढ़ाकर भारत विरोधी एजेंडा चला रही हैं.
कट्टरपंथी ताकतों का मददगार बना चीन
बांग्लादेश में भारत विरोधी इस्लामिक ताकतों के साथ चीन का मेलजोल खुलकर सामने आया है. चीन लगातार बांग्लादेश में चरमपंथियों की मदद कर रहा है और हाल ही में कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के नेताओं ने चीन का दौरा किया है. जमात-ए-इस्लामी के मुखिया डॉक्टर शफीकुर्रहमान समेत 9 सदस्यीय दल पांच दिन के चीन दौरे पर है.
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सबसे बड़ी बात यह है कि चीन ने जमात-ए-इस्लामी को न्यौता दिया था और यह कट्टरपंथी संगठन के साथ चीन नेताओं की दूसरी मुलाकात है. इसके पहले ढाका में चाइनीज दूतावास ने संगठन के मुखिया और सदस्यों की मेहमाननवाज़ी की थी. जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश के आगामी आम चुनावों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व चुनावी सिस्टम को लागू करने की बात कही है.
बांग्लादेश में शरिया की वकालत

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