फूलों की खेती ने किसान के जीवन में भरा रंग, गेंदे की फसल से हुई बढ़िया कमाई
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औरंगाबाद के रहने वाले अरविंद ने 400 रुपये प्रति सैकड़ा की दर से कोलकाता से पौधे मंगाए और तीन कट्ठा में खेती शुरू की. उन्होंने फूलों को थोक में बेचने के लिए मदनपुर के घोरहत मोड़ पर दुकान भी खोल रखी है. व्यापारी दुकान पर भी आकर फूल खरीदकर ले जाते हैं. अब उन्हें बढ़िया मुनाफा भी हो रहा है.
बिहार के औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड के महुआवां पंचायत क्षेत्र के अरविंद मालाकार ने गेंदे के फूलों की खेती की शुरुआत तब की जब उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. परिवार के गुजारे के लिए वह रोजगार की तलाश में थे. इसी दौरान उन्होंने हिम्मत करके फूलों की खेती की शुरुआत की और उनकी मेहनत रंग लाई. हालांकि, शुरुआती दौर में गुजारे लायक आमदनी हुई तो उन्होंने खेती का रकबा बढ़ाया. इससे पैदावार में इजाफा होने के साथ ही आमदनी भी बढ़ी.
आर्थिक तौर पर मिली मजबूती
अरविंद को देखकर गांव के अन्य किसानों का भी रुझान अब परंपरागत फसलों के बजाय फूलों की खेती की ओर बढ़ने लगा है. आलम यह है कि अरविंद के खेतों में लहलहाते फूलों की बाजारों में भारी मांग है. यह मांग लगातार बढ़ती ही जा जा रही है. अरविंद आर्थिक रूप से लगातार मजबूत हो रहे हैं. एक समय ऐसा भी था जब अरविंद ने सरकारी मदद की आस लगा रखी थी. इस आस में कोशिश भी की पर मदद नहीं मिलने पर कर्ज लेकर गेंदे के फूल की खेती शुरू की. दशहरा, दीपावली जैसे त्योहारों और शादियों के मौके पर फूलों की बंपर बिक्री से अच्छी बचत हो जाएगी.
पहले करते थे सब्जी की खेती
इससे पहले अरविंद सब्जी की खेती करते थे. हालांकि, उससे लागत के अनुरूप मुनाफा नहीं हो पाता था. नील गायें सब्जी की फसलों को भी बर्बाद कर देती थीं. इसी वजह से अरविंद ने फूलों की खेती शुरू की. खेती में उनकी पत्नी भी उनका हाथ बंटाती हैं. पति-पत्नी की मेहनत का अब रंग दिख रहा है. एक समय गांव के दूसरे किसान गेंदे के फूल की खेती को लेकर अरविंद का मजाक भी उड़ाया करते थे. अब वही लोग अरविंद की राह पर चलने को तैयार हैं.
गेंदे की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं अरविंद
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