पोलैंड का ये शहर बना यूक्रेन के शरणार्थियों के लिए वरदान, जानिए जमीन पर कैसे हालात
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यूक्रेन से लाखों लोगों का पलायन हुआ है. ज्यादातर लोग अभी पोलैंड में आकर बस गए हैं. यहां के वरोथलाव शहर में तो सबसे ज्यादा शरणार्थी आए हैं. सभी को उम्मीद है कि वे जल्द अपने वतन वापस जाएंगे.
यूक्रेन मे युद्ध की रणभेरी बजी तो लाखों लोग जान बचा कर भागे. किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने हमेशा के लिए अपनों को अलविदा कह दिया. यूक्रेन से भागने को मजबूर हुए कई शरणार्थी पोलैंड आ पहुंचे. वहां पर उन्हें पनाह भी मिली और एक नई पहचान भी. बात पोलैंड के ऐसे ही एक शहर वरोथलाव की जहां पर अभी सबसे ज्यादा यूक्रेनी शरणार्थी रह रहे हैं.
पोलैंड के इस शहर में अभी हर कोई इन यूक्रेनी नागरिकों की मदद करने को आगे आ रहा है. कही से इनके लिए खाना आ जाता है तो किसी ने अपने घर के दरवाजे ही इनके लिए खोल दिए हैं. यूक्रेन से पोलैंड आईं 22 वर्षीय ऐना भी अपने देश वापस जाने के सपने देखती हैं. उन्हें भी उम्मीद है कि वो दिन दूर नहीं जब वे अपने वतन वापस लौट पाएंगी. अभी के लिए वे वरोथलाव की सड़कों पर तस्वीरें खींच रही हैं. लोगों को मुस्कुराता देख अपने गम को भुलाने की कोशिश कर रही हैं. उन्हीं तस्वीरों के दम पर वे एक पराए देश में अपनी रोजी-रोजी का इंतजाम कर रही हैं.
ऐसा ही कुछ हाल 14 साल की उस ज़ोरियाना का भी है. जन्मिदन वाले दिन वो अपने पापा से दूर है. एक अनजान जगह पर अनजान लोगों के बीच में वो अपना जन्मदिन मना रही है. आजतक ने जब बात करने की कोशिश की तो रोने लगी, उसकी मां की आंखों में भी आसू आ गए.
अब इस मुश्किल समय में पोलैंड ने तो मदद का हाथ बढ़ाया ही है, वहां रह रहे भारतीय भी अपनी तरफ से पूरा सहयोग दे रहे हैं. पिछले एक महीने से लगातार कार्तिकेय जोहरी शरणार्थियों को खाना भेज रहे हैं. उत्तराखंड के बीर सिंह के हाथ का खाना यूक्रेन के शरणार्थियों को बेहद पसन्द है.
यूनिसेफ के मुताबिक यूक्रेन शरणार्थियों की संख्या 40 लाख से ऊपर है. इसमें आधे से ज्यादा शरणार्थी पोलैंड आए हैं. उसमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं जो अब एक नई पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं.