
'पैन-इंडिया फिल्म एक बहुत बड़ा घोटाला... 1000 करोड़ के पीछे सब', बोले अनुराग कश्यप
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बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप अपने बेबाक बयानों के चलते सुर्खियों में रहते हैं. अब अनुराग कश्यप ने पैन-इंडिया फिल्म को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मेरे लिए पैन-इंडिया एक बहुत बड़ा घोटाला है. फिल्म निर्माता ऑडियंस का ध्यान हटाने के लिए कहानी से बचते हैं और हर दो तीन मिनट बाद एक आइटम दिखाते हैं. यह सब एक फॉर्मूला बन जाता है.
बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप अपने बेबाक बयानों के चलते सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही में उन्होंने फिल्म 'फुले' की रिलीज टलने और सेंसर बोर्ड की आलोचना के बीच ब्राह्मण समाज को लेकर आपत्तिजक बातें कही थी. जिसके बाद उन्हें माफी मांगना पड़ी. अब अनुराग कश्यप ने पैन-इंडिया फिल्म को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि फिल्म मेकर्स हर प्रोजेक्ट में भारी पैसा लगाते हुए एक ही फॉर्मूले को दोहरा रहे हैं, जिसमें ज्यादातर बॉक्स ऑफिस पर असफल हो रहे हैं.
'पैन-इंडिया है घोटाला' अनुराग कश्यप ने कहा कि मेरे लिए पैन-इंडिया एक बहुत बड़ा घोटाला है. पैन-इंडिया एक शब्द है. एक फिल्म तभी पैन इंडिया होती है, जब वह पैन-इंडिया में अच्छा प्रदर्शन करती है. कोई फिल्म बनने से पहले कैसे पैन-इंडिया हो सकती है? फिल्म तीन से चार साल तक प्रोडक्शन में लगती है, जिसमें बहुत लोग शामिल होते हैं. इसलिए सारा पैसा फिल्म में नहीं जाता. कहानी-अभिनेता वही है लेकिन पैसा इस बड़े सेटों को जाता है, जिसका कोई मतलब नहीं है.
'हजार करोड़ के पीछे भाग रहे हैं' द हिंदू को दिए गए अपने इंटरव्यू में अनुराग कश्यप ने आगे कहा कि इसमें सिर्फ 1% ही काम करता है और वह 1% पूरे भारत में घूमता है. कुछ ऐसी फिल्में सफल हुईं जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी, जैसे 'स्त्री 2'. इसने हॉरर कॉमेडी की दुनिया शुरू कर दी. जब 'उरी' सफल हुई तो सभी ने राष्ट्रवादी फिल्में बनाना शुरू कर दिया. 'बाहुबली' के बाद सभी ने प्रभास या किसी और कलाकार के साथ बड़ी फिल्में बनानी शुरू कर दी. 'केजीएफ' की सफलता के बाद हर कोई वैसी फिल्म बनाने लगा और यही से कहानी में गिरावट शुरू हो गई.
'पैसों के पीछे भाग रहे सब'
अनुराग कश्यप ने आगे कहा कि ऐसी बड़ी सुपरहिट फिल्मों की सफलता को दोहराने के लिए फिल्म निर्माता ऑडियंस का ध्यान हटाने के लिए कहानी से बचते हैं और हर दो तीन मिनट बाद एक आइटम दिखाते हैं. यह सब एक फॉर्मूला बन जाता है, क्योंकि हर कोई 800-900-1000 करोड़ रुपये के पीछे भाग रहा है. आंकड़े बढ़ रहे हैं लेकिन पिछले 5 सालों में पांच से छह फिल्में यहां तक पहुंची है. जबकि हम हर साल 1000 से ज्यादा फिल्में बना रहे हैं.

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