पेट्रोल-डीजल: महंगे तेल से आम आदमी बेहाल, सरकारें और ऑयल कंपनियां मालामाल
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सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि जब मोदी सत्ता में आए थे तब क्रूड ऑयल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से भी ज्यादा थी, लेकिन उस वक्त एक लीटर पेट्रोल की कीमत 70 से 72 रुपए के बीच थी.
देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें फिर बढ़ने लगी हैं. कई जगहों पर तो पेट्रोल की कीमतें 100 का आंकड़ा पार कर चुकी हैं. एक समय में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अंतर काफी रहता था, लेकिन आज ये हालत है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अंतर कम हो गया है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा था कि फिलहाल पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होने की गुंजाइश नहीं है. उन्होंने ये भी कहा था कि इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है, इससे भी कीमतें बढ़ रही हैं. हालांकि, सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि जब मोदी सत्ता में आए थे तब क्रूड ऑयल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से भी ज्यादा थी, लेकिन उस वक्त एक लीटर पेट्रोल की कीमत 70 से 72 रुपए के बीच थी. मोदी सरकार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने की एक वजह इन पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी भी है, जो केंद्र सरकार लगाती है. मई 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, तब एक लीटर पेट्रोल पर साढ़े 9 रुपए और डीजल पर साढ़े 3 रुपए के आसपास एक्साइज ड्यूटी लगती थी. लेकिन आज एक लीटर पेट्रोल पर 32.9 रुपए और डीजल पर 31.8 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है. नतीजा ये है कि केंद्र सरकार की इससे कमाई बढ़ रही है. देश में पिछले साल कोरोना संक्रमण की वजह से दो महीनों तक टोटल लॉकडाउन लगा रहा था. इस दौरान पेट्रोल-डीजल की खपत बहुत कम हो गई थी.More Related News
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