दिल्लीः 8 साल के बच्चे के सामने 22 घंटे पड़ा रहा दादा-दादी का शव, कोरोना से गई थी जान
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कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले वृद्ध दंपत्ति का शव घर में 22 घंटे तक पड़ा रहा, लेकिन आस-पड़ोस में कोई भी अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आया. घटना बुराड़ी के शक्ति एन्क्लेव की है.
राजधानी दिल्ली से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले वृद्ध दंपत्ति का शव घर में 22 घंटे तक पड़ा रहा, लेकिन आस-पड़ोस में कोई भी अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आया. घटना बुराड़ी के शक्ति एन्क्लेव की है, जहां लक्ष्मण तिवारी अपने बुजुर्ग माता-पिता की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए अपने आस पास के लोगों से कई घंटों तक गुहार लगाते रहे लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया. वाकया 26 अप्रैल का है. नार्थ दिल्ली के बुराड़ी इलाके के शक्ति एन्क्लेव में लक्ष्मण तिवारी अपने बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और 8 साल के बेटे के साथ रह रहे थे. लक्ष्मण तिवारी का पूरा परिवार कोरोना से संक्रमित हो गया था. पत्नी की हालत गंभीर होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. उसी दौरान 26 अप्रैल को उनके माता-पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद लक्ष्मण और उसके 8 साल के बेटे को रात भर शव के साथ घर में बिताना पड़ा. आस पास के लोगों से काफी मदद की गुहार लगाई लेकिन कोरोना के डर से कहीं से भी उन्हें मदद नहीं मिली.हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.