
‘थामा’ की कहानी है इस 1000 साल पुराने मिथ पर बेस्ड, हॉलीवुड के वैम्पायर से भी पुराना है इतिहास
AajTak
आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना की फिल्म 'थामा' की कहानी पहले वैम्पायर्स पर बेस्ड मानी जा रही थी. मगर ये बेताल पर बेस्ड है. बेताल का मिथक क्या है और इसकी कहने कितनी पुरानी है? 'थामा' में बेताल कैसे कहानी का हिस्सा होगा? चलिए बताते हैं...
'स्त्री' से शुरू हुए हॉरर यूनिवर्स की नई फिल्म 'थामा' दिवाली पर रिलीज के लिए तैयार है. आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी स्टारर इस फिल्म के ट्रेलर को काफी पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला था. इसके गाने भी ठीकठाक पॉपुलर हो रहे हैं. मगर ट्रेलर, गानों या बाकी प्रमोशल मैटेरियल से फिल्म की कहानी का आईडिया लगा पाना बड़ा मुश्किल है.
'थामा' का ट्रेलर देखकर और फिल्म अनाउंस होने के बाद आई खबरों से लग रहा था कि इसकी कहानी कहानी वैम्पायर्स पर बेस्ड है. हॉरर यूनिवर्स में अभी तक एक चुड़ैल (स्त्री), प्रेत (मुंज्या) और मानव शरीर में छुपे भेड़िये (भेड़िया) की एंट्री हो चुकी है. ऐसे में अब एक वैम्पायर किरदार की एंट्री भी बनती थी. मगर 'थामा' की कहानी असल में हॉलीवुड फिल्मों में नजर आने वाले वैम्पायर्स की नहीं है. इसकी कहानी एक भारतीय मिथक पर बेस्ड है, जो वैम्पायर से कहीं ज्यादा पुराना है. इतना पुराना कि इसकी कहानी 11वीं सदी से शुरू होती है.
किस डरावने मिथक पर बेस्ड है 'थामा' की कहानी? 2024 में जब 'थामा' अनाउंस हुई थी तो इसका टेम्परेरी टाइटल 'वैम्पायर्स ऑफ विजयनगर' था. इसी वजह से ये लगा कि इसकी कहानी वैम्पायर पर आधारित है. मगर हॉरर यूनिवर्स के राइटर नीरेन भट्ट ने दैनिक भास्कर को बताया है कि ये कहानी वेस्टर्न किरदार वैम्पायर पर नहीं, बल्कि भारतीय लोककथाओं में पाए जाने वाले बेताल पर बेस्ड है.
उन्होंने कहा, 'हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स बनाते समय हमें भारतीय पहचान वाली लोककथा की तलाश थी और बेताल का कॉन्सेप्ट इसमें फिट बैठता था. इसी से हमने 'थामा' गढ़ा, जिसका अर्थ है 'बेतालों का राजा.' फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी यही किरदार निभा रहे हैं. नीरेन ने इस किरदार के नाम का एक और अर्थ बताया— 'जिसकी आयु थम गई, वही थामा.'
क्या है बेताल, मिथकों में कहां है इसका जिक्र? हिंदू मिथकों में बेताल सुपरनेचुरल स्पिरिट्स हैं, जो मृत्यु और पुनर्जन्म के बीच में फंसे हैं. बेताल होते तो बहुत ज्ञानी हैं और इन्हें भूत-भविष्य की पूरी जानकारी होती है. मगर इनका स्वभाव बहुत उत्पाती होता है. ये अपने इलाके की रक्षा करते हैं और जिस मानव शरीर में घुसते हैं उसे बहुत शक्तिशाली बना देते हैं. मगर ये उस व्यक्ति के दिमाग से खेलते हैं, उसे पागल बना सकते हैं.
कश्मीर के एक लेखक सोमदेव भट्ट ने, 11वीं सदी में भारतीय लोककथाओं का एक कलेक्शन लिखा था- कथासरितसागर. संस्कृत में लिखे इस ग्रंथ में 'वेतालपंचविंशति' (बेताल की 25 कहानियां) भी है. इसमें एक मुख्य कहानी के अंदर, चौबीस कहानियां हैं. इसी को हिंदी में 'बेताल पच्चीसी' कहा जाता है.

रूसी बैले डांसर क्सेनिया रयाबिनकिना कैसे राज कपूर की क्लासिक फिल्म मेरा नाम जोकर में मरीना बनकर भारत पहुंचीं, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. मॉस्को से लेकर बॉलीवुड तक का उनका सफर किसी फिल्मी किस्से से कम नहीं. जानिए कैसे उनकी एक लाइव परफॉर्मेंस ने राज कपूर को प्रभावित किया, कैसे उन्हें भारत आने की इजाजत मिली और आज वो कहां हैं और क्या कर रही हैं.

शहनाज गिल ने बताया कि उन्हें बॉलीवुड में अच्छे रोल नहीं मिल रहे थे और उन्हें फिल्मों में सिर्फ प्रॉप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था. इसी वजह से उन्होंने अपनी पहली फिल्म इक कुड़ी खुद प्रोड्यूस की. शहनाज ने कहा कि वो कुछ नया और दमदार काम करना चाहती थीं और पंजाबी इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती थीं.

ओटीटी के सुनहरे पोस्टर भले ही ‘नई कहानियों’ का वादा करते हों, पर पर्दे के पीछे तस्वीर अब भी बहुत हद तक पुरानी ही है. प्लेटफ़ॉर्म बदल गए हैं, स्क्रीन मोबाइल हो गई है, लेकिन कहानी की कमान अब भी ज़्यादातर हीरो के हाथ में ही दिखती है. हीरोइन आज भी ज़्यादातर सपोर्टिंग रोल में नज़र आती है, चाहे उसका चेहरा थंबनेल पर हो या नहीं. डेटा भी कुछ ऐसी ही कहानी कहता है.










