तालिबान से पहले इन इस्लामिक देशों ने की म्यूजिक पर बैन लगाने की कोशिश, क्या इस्लाम में हराम है संगीत, क्या है इसकी सजा?
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अफगानिस्तान में तालिबानी राज आने के बाद से लगातार अजीबोगरीब फरमान जारी हो रहे हैं. महिलाओं के ब्यूटी पार्लर बंद करवाने के बाद अब तालिबान सरकार ने वाद्य यंत्रों को आग के हवाले कर दिया. इससे पहले भी वहां ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. संगीत से इस्लाम का संबंध काफी पेचीदा और उठापटक वाला रहा. कई देश तो इससे आ रहे पैसों को भी हराम मानते हैं.
करीब दो साल पहले अफगानिस्तान पर तालिबानी सोच का कब्जा हो गया. इसके तुरंत बाद से कई फरमान जारी होने लगे. वहां के नैतिकता मंत्रालय ने सार्वजनिक तौर पर तो गाने-बजाने पर पाबंदी लगाई ही, लेकिन अब वो इसपर और सख्त हो चुका है. हाल में हेरात प्रांत में कई शादीघरों से म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट्स लेकर उन्हें आग में झोंक दिया गया.
कौन लगाता है रोक?
ये जिम्मा नैतिकता मंत्रालय का है. यह एक तरह का मॉरल पोलिसिंग विभाग है, जो अफगानी लोगों को सही रास्ते पर चलने की ट्रेनिंग देता है. हालांकि अकेला अफगानिस्तान नहीं, बहुत से मुस्लिम देश इस्लाम के हवाले से संगीत को हराम बताते हैं.
ऊपरवाले की आवाज ही असल संगीत...
ईराकी दार्शनिक ग्रुप इखवान अल-सफा ने 10वीं सदी में कहा था कि अल्लाह की आवाज ही सच्चा संगीत है आखिरी नबी ने यही आवाज सुनी थी, जिसके बाद उन्हें किसी संगीत की जरूरत नहीं पड़ी. लेकिन बाकी मुस्लिम उस आवाज के बारे में सोचते रहें, इसके लिए संगीत सुना जा सकता है, लेकिन तभी जब म्यूजिक परमात्मा से जोड़ने वाला हो. इसके अलावा हर तरह का संगीत दिल को कमजोर बनाता और दुनियावी इच्छाएं जगाता है. ये हराम है.