
ढीली परफॉरमेंस, खराब म्यूजिक, ये बातें अक्षय कुमार की Samrat Prithviraj को बनाती हैं 'फीका'
AajTak
सम्राट पृथ्वीराज का ट्रेलर अगर आपको याद हो, तो इसमें पृथ्वीराज चौहान के शौर्य की गाथा दिखाने का वादा किया गया था. लेकिन फिल्म के अंदर कुछ इतना भी खास नहीं है, जिसे देखने के बाद कहा जाए कि इसने पृथ्वीराज चौहान के साथ न्याय किया है.
अक्षय कुमार की फिल्म सम्राट पृथ्वीराज को लेकर फैंस और सिनेमा लवर्स के बीच काफी बज बना हुआ था. लेकिन इसकी रिलीज के साथ ही देखने वालों का जोश ठंडा हो गया है. सम्राट पृथ्वीराज को लेकर कई उम्मीदें लगाई गई थीं. लेकिन ये फिल्म उतनी भी कमाल की नहीं है, जितना ट्विटर पर यूजर्स का रिएक्शन देखने के लिए मिल रहा है. तारीफों के बीच कई रिव्यू ऐसे हैं, जिनमें बताया गया है कि असल में सम्राट पृथ्वीराज कैसी फिल्म है. फिल्म में कई ऐसे हिस्से हैं, जो इसे एकदम ढीला और बेअसर बनाते हैं. इन्हीं के बारे में आज हम बात कर रहे हैं.
अक्षय कुमार पड़े फीके
सम्राट पृथ्वीराज का ट्रेलर अगर आपको याद हो, तो इसमें पृथ्वीराज चौहान के शौर्य की गाथा दिखाने का वादा किया गया था. लेकिन फिल्म के अंदर कुछ इतना भी खास नहीं है, जिसे देखने के बाद कहा जाए कि इसने पृथ्वीराज के साथ न्याय किया है. पृथ्वीराज चौहान भारत के सबसे महान सम्राट में से एक रहे. वह एक राजा के साथ-साथ योद्धा भी थे. इस किरदार को निभाने के लिए भी एक दमदार एक्टर की जरूरत थी, जो बहुत लोग मानते हैं कि अक्षय कुमार नहीं हैं.
अक्षय कुमार ने सम्राट पृथ्वीराज में लीड रोल निभाया है. अपने इस किरदार के लिए उन्होंने मेहनत तो बहुत की है, लेकिन फिर भी वह फीके पड़े हैं. अक्षय कुमार को देखकर एक राजा, योद्धा या सम्राट किसी की भी फील नहीं आती है. वह देखने और बात करने, दोनों में ही वो रुतबा नहीं रखते जो एक राजा के किरदार का होता है. अक्षय ने काम ठीक किया है, लेकिन यह आपके ऊपर छाप छोड़ने वाला बिल्कुल नहीं है. जैसे बाजीराव और पद्मावत में आपको रणवीर का काम याद है. वैसे इसमें अक्षय का किरदार याद रखने वाला नहीं है. पर्दे पर अक्षय जब बात करते हैं, तो उन्हें देखकर लगता है कि वह अपने डायलॉग्स के रट्टे मारकर आए हैं.
किरदारों में नहीं है दम
इस फिल्म को ग्रैंड होना था, जो कि यह है. लेकिन एक फिल्म अपने किरदारों से बनती हैं. ऐसे में किरदारों का गहरा और अच्छा होना जरूरी होता है. फिल्म सम्राट पृथ्वीराज को देखकर लगता है कि इसे जल्दबाजी में बनाया गया है. फिल्म में साक्षी तंवर, सोनू सूद और आशुतोष राणा को छोड़कर शायद ही किसी बड़े किरदार को निभाने वाले एक्टर ने अच्छा काम किया हो.

राम गोपाल वर्मा ने उर्मिला मतोंडकर से जुड़े पुराने आरोपों और कयासों का जवाब दिया. उर्मिला संग डायरेक्टर ने 1990 के दशक और 2000 के शुरुआती सालों में काफी काम किया था. राम के साथ उर्मिला की फिल्मों जैसे 'रंगीला', 'दौड़', 'सत्या' और 'प्यार तूने क्या किया' ने उन्हें उस दौर के सबसे आइकॉनिक चेहरों में से एक बनाया था.

आशका गोराडिया ने 2002 में एक यंग टेलीविजन एक्टर के रूप में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा था. 16 साल बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया. इसका कारण थकान नहीं, बल्कि एक विजन था. कभी भारतीय टेलीविजन के सबसे यादगार किरदार निभाने वाली आशका आज 1,800 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी की कमान संभाल रही हैं.











