
जाह्नवी ने बताया मां के निधन के बाद हो गई हैं ज्यादा धार्मिक, इस वजह से करती हैं बालाजी की चढ़ाई
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जाह्नवी ने बताया कि कैसे अपनी मां के निधन के बाद उनमें आध्यात्मिक और धार्मिक बदलाव भी आया है. उन्होंने बताया कि उनपर 'जब जिम्मेदारियां आईं' तब वो और भी ज्यादा इन सब चीजों में विश्वास करने लगीं. 'नेपोटिज्म' की बात पर जाह्नवी ने कहा कि उन्हें अपने प्रिविलेज के वजन का एहसास पूरी तरह है.
बॉलीवुड की यंग स्टार जाह्नवी कपूर इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म 'मिस्टर एंड मिसेज माही' की प्रमोशन में बिजी हैं. राजकुमार राव के साथ इस फिल्म में जाह्नवी क्रिकेट खेलती नजर आ रही हैं. जाह्नवी ने एक इंटरव्यू में बताया कि क्रिकेट खेलने की तैयारी के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और इस चक्कर में उनके दोनों शोल्डर्स में बड़ी इंजरी भी हुईं.
अपनी फिल्मों के रिलीज होने के पहले अक्सर जाह्नवी तिरुपति बालाजी में दर्शन के लिए पहुंचीं नजर आती हैं. उन्होंने बताया कि वो सिर्फ बालाजी के दर्शन करने नहीं जातीं, बल्कि उनके मंदिर की चढ़ाई चढ़ने में भी उनका एक खास उद्देश्य है. जाह्नवी ने कहा कि अपनी मां, एक्ट्रेस श्रीदेवी के निधन के बाद वो ज्यादा धार्मिक हो गई हैं.
बहुत ज्यादा 'अंधविश्वास' फॉलो करती हैं जाह्नवी? 'द लल्लनटॉप' के साथ इंटरव्यू में जाह्नवी ने बताया कि वो बहुत सुपरस्टिशियस यानी अंधविश्वासी हैं. अपनी बात को एक्सप्लेन करते हुए उन्होंने कहा, 'उससे भी ज्यादा ऊर्जा की बात होती है. आपका फ्रेम ऑफ माइंड, और लोगों से आपको जो एनर्जी मिलती है. और दिमाग में एक कंडिशनिंग सी हो जाती है न कि ऐसा कुछ हो जाए तो लोगों की ऊर्जा शायद आपपर अच्छी नहीं है, लोगों की नजर आप पर अच्छी नहीं है.'
जाह्नवी ने बताया कि कैसे अपनी मां के निधन के बाद उनमें आध्यात्मिक बदलाव भी आया है. उन्होंने बताया कि उनपर 'जब जिम्मेदारियां आईं' तब वो और भी ज्यादा इन सब चीजों में विश्वास करने लगीं. जाह्नवी ने कहा, 'मम्मी बहुत ज्यादा सुपरस्टिशियस थीं. इन सब चीजों को बहुत मानती थीं कि अच्छी डेट पर ये करना चाहिए, शनिवार को बाल नहीं काटना, शुक्रवार को बाल नहीं काटने, नहीं तो लक्ष्मी चली जाती हैं. ये सब वो बहुत मानती थीं और मैं कभी नहीं मानती थीं. लेकिन उनके गुजरने के बाद मैं भी ये सब ज्यादा मानने लगी हूं, शायद बहुत ज्यादा.'
मां के निधन के बाद धार्मिक हो गईं जाह्नवी जाह्नवी ने आगे बताया, 'मुझे नहीं लगता कि जब वो थीं तो मेरा धार्मिक या आध्यात्मिक झुकाव इतना ज्यादा था. लेकिन वो मानती थीं तो हम सब मानते थे. लेकिन उनके गुजरने के बाद जो संबंध है, हमारे कल्चर इतिहास और हिंदूइस्म के साथ वो ज्यादा (गहरा हो गया). मैं इसमें शरण लेने लगी हूं.'
जाह्नवी ने कहा कि तिरुपति से उनका एक खास और अलग जुड़ाव है. वो खुद भी अक्सर तिरुपति बालाजी के दर्शन करने जाती नजर आती हैं. इस खास कनेक्शन के बारे में जाह्नवी ने बताया, 'बचपन से मैं मम्मी से सुनती आई हूं कि उनका भी एक अलग कनेक्शन रहा है बालाजी के साथ. वो हर बार उनका नाम जपती रहती थीं 'नारायण नारायण...'. हर साल उनके बर्थडे पर, जब वो काम कर रही थीं, तो वो तिरुपति चढ़कर जाती थीं और शादी के बाद उन्होंने बंद कर दिया था. तो उनके गुजरने के बाद मैंने तय कर लिया था कि हर साल उनके बर्थडे पर मैं जाउंगी.'

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