
जायद खान ने हिंदू रीति से क्यों किया मां जरीन का अंतिम संस्कार? पीछे थी बड़ी वजह
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बॉलीवुड एक्टर और फिल्मकार संजय खान की पत्नी जरीन खान का निधन हो गया है. उनका अंतिम संस्कार जुहू श्मशान घाट में हिंदू रीति-रिवाज से हुआ. उनके बेटे जायद खान ने पारंपरिक रस्में निभाईं, जिसमें परिवार के सदस्य और कई बॉलीवुड सितारे शामिल हुए. अब इसके पीछे की वजह सामने आई है.
एक्टर और फिल्मकार संजय खान की पत्नी, जायद खान और सुजैन खान की मां, जरीन खान ने 7 नवंबर को दुनिया को अलविदा कह दिया. जरीन खान दशकों तक बॉलीवुड सर्कल्स में एक परिचित चेहरा बनी रहीं. वो एक एक ऐसे परिवार का हिस्सा थीं, जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से लंबे समय से जुड़ा हुआ है.
हिंदू रीति रिवाज से क्यों हुआ अंतिम संस्कार?
जरीन के जाने के बाद उनके करीबियों ने एक ऐसी महिला को याद करते हैं जो शालीन भी थीं और व्यावहारिक भी. जिन्होंने शोहरत को बिना हंगामे के संभालती थीं और परिवार की जिम्मेदारियां मजबूती से निभाती थीं. उनका निधन, उनके करीबियों के लिए गहरी व्यक्तिगत क्षति थी. लेकिन इससे उन लोगों को भी दुख हुआ, जो उनके जीवन की झलकियां उनके प्रियजनों के जरिए देखते रहे थे. वह शहर जो दशकों तक उनका घर रहा, उनकी अंतिम विदाई भी वहीं हुई.
शुक्रवार, 8 नवंबर को जरीन खान के निधन के एक दिन बाद उनका अंतिम संस्कार जुहू के श्मशान घाट में हुआ. उनके बेटे जायद खान ने रस्में निभाईं, जिनमें संजय खान और सुजैन खान सहित परिवार के अन्य सदस्य शामिल थे. जायद खान यहां भावुक दिखे, आंसू रोकते हुए उन्होंने मां की चिता को अग्नि दी. इंडस्ट्री के कई दोस्त और सहकर्मी जरीन को आखिरी अलविदा कहने आए थे. इसमें ऋतिक रोशन, सबा आजाद, काजोल, रानी मुखर्जी, जैकी श्रॉफ और बॉबी देओल शामिल थे.
जरीन ने कभी नहीं बदला अपना धर्म
जरीन खान के अंतिम संस्कार में ध्यान खींचने वाली बात यह थी कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से हुआ. रस्में पारंपरिक 'दाह-संस्कार' के अनुसार हुईं, जो हिंदू परंपरा में गहराई से समाहित एक अग्नि-संस्कार होता है. इसका कारण अब सामने आ गया है. कई रिपोर्ट्स के अनुसार, जरीन खान की इच्छा थी कि उनका दाह संस्कार हो. क्योंकि उनका जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था. शादी से पहले उनका नाम Zarine Katrak था. संजय खान से शादी के बाद भी उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया और इस्लाम नहीं अपनाया था. वे अपने जन्मजात धर्म का पालन करती रहीं. उन्होंने एक ऐसे घर में सामंजस्यपूर्ण जीवन बिताया जो दोनों धर्मों का सम्मान करता था.

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