
जाकिर हुसैन की अनसुनी दास्तान: जिसे मां ने समझा था मनहूस, अब्बा को बचाने के लिए मांगी भीख
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संगीत मैस्ट्रो जाकिर हुसैन भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी ख्याति दूर दूर तक फैली है. जाकिर के अचीवमेंट्स से तो आप वाकिफ होंगे लेकिन ये शायद ही कोई जानता होगा कि उनका बचपन कितनी मुफ्लिसी में बीता है. आपको बताते हैं उनके बारे में अनकहे किस्से...
तबला मैस्ट्रो जाकिर हुसैन का सोमवार सुबह 73 साल की उम्र में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया. उनका जाना संगीत जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है. परिवार और फैंस गमगीन है. उनका संगीत और तबले की थाप हर चाहनेवालों की दिल में गूंजती रहेगी.
उनके सराहनीय काम, अचीवमेंट्स और अवॉर्ड्स से तो शायद आप वाकिफ होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कैसे वो दि ग्रेट 'जाकिर हुसैन' बने? मुफ्लिसी के दिनों में बीते बचपन के बावजूद उन्होंने कैसे संगीत की दुनिया में अपना परचम लहराया और नाम कमाया? आइये हम आपको बताते हैं उनके बारे में कुछ ऐसी बातें, जिनसे शायद ही कोई वाकिफ होगा.
मां ने समझा 'मनहूस'
जाकिर हुसैन ने अपनी किताब “ZAKIR HUSSAIN: A Life in Music” में इस किस्से का जिक्र किया है. जाकिर ने बताया कि उनके जन्म के समय पिता की सेहत इस कदर खराब थी कि तबला वादक को मनहूस समझा जाने लगा था. और ऐसा कोई और नहीं बल्कि उनकी मां का मानना था.
जाकिर ने कहा था, ''जिस समय मेरा जन्म हुआ, उस समय मेरे पिता दिल की बीमारी से पीड़ित थे और बहुत अस्वस्थ थे. किसी ने मेरी मां से कहा था कि मैं एक बदकिस्मत बच्चा हूं क्योंकि मेरा जन्म परिवार के लिए इस सबसे दुखद समय के साथ हुआ था. मेरे पिता, जिन्हें हम अब्बा कहते थे, उस समय इतने गंभीर रूप से बीमार थे कि उनके कई साथी और दोस्त उन्हें अंतिम विदाई देने आए थे. इनमें राज कपूर, नरगिस और अशोक कुमार शामिल थे, जिन्होंने बेवफा में अभिनय किया था. एक ऐसी फिल्म जिसका संगीत अब्बा ने ही दिया था.''
''जब मुझे घर लाया गया तो मेरी मां ने मुझे ब्रेस्टफीड नहीं कराया. उन्हें वास्तव में लगता था कि मैं मनहूस हूं. और इसलिए परिवार की एक करीबी दोस्त (जो हमारे पास माहिम दरगाह के मोहल्ले में रहती थी) ने मेरी देखभाल की. दुख की बात है कि मुझे उस दयालु महिला का नाम याद नहीं है. लेकिन वो शुरुआती कुछ हफ्तों के लिए मेरे लिए एक तरह से सरोगेट मां बन गई थी. आप सोच कर सकते हैं कि ये सामान्य नहीं था क्योंकि भारतीय परिवार में सबसे बड़े बेटे को आमतौर पर राजकुमार की तरह माना जाता है.''













