
जलजीवन मिशन में भ्रष्टाचार के आरोप, प्यासे आदिवासी आंदोलन पर उतरे... वैतरणा डैम से मुंबई-ठाणे को जाने वाला पानी रोका
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महाराष्ट्र के नाशिक के आदिवासी इलाकों में पानी की भीषण किल्लत को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने वैतरणा डैम से मुंबई, ठाणे और पालघर की ओर छोड़ा जाने वाला पानी रोक दिया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हर साल 2000 मिमी से ज्यादा बारिश और कई डैम होने के बावजूद उनके गांवों में गर्मियों में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ता है. आदिवासी ग्रामीणों ने जल जीवन मिशन को पूरी तरह फेल बताया और योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.
महाराष्ट्र में नाशिक के इगतपुरी, त्र्यंबकेश्वर और पेठ जैसे आदिवासी इलाकों में इस बार गर्मी पानी के भीषण संकट के साथ आई है. पानी न मिलने से त्रस्त ग्रामीणों ने इगतपुरी के वैतरणा डैम से मुंबई, ठाणे और पालघर के लिए छोड़ा जाने वाला पानी रोक दिया. आंदोलनकारी आदिवासियों ने नहर में कूदकर प्रदर्शन किया, जिसके बाद प्रशासन को पानी की आपूर्ति बंद करनी पड़ी.
जानकारी के अनुसार, इगतपुरी के आदिवासी इलाकों से आए लोगों ने वैतरणा डैम की नहर को बंद करने की चेतावनी दी थी. जब प्रशासन ने उनकी बात नहीं मानी तो दर्जनों लोग नहर में उतर गए और प्रदर्शन करने लगे. आखिरकार, प्रशासन को पानी रोकना पड़ा और आंदोलनकारियों से बातचीत शुरू की गई. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का आरोप है कि जब उनके गांवों में पानी नहीं है, तो वे मुंबई और अन्य शहरों को पानी क्यों भेजें.
यह विरोध किसी एक गांव या इलाके की कहानी नहीं है, बल्कि सरकार की वर्षों से चली आ रही अनदेखी का नतीजा है. इगतपुरी, त्र्यंबकेश्वर और पेठ जैसे तालुकों में हर साल 2000 मिमी से अधिक बारिश होती है. अकेले इगतपुरी में 7-8 डैम हैं, जिनसे मुंबई, ठाणे, पालघर और यहां तक कि मराठवाड़ा के औरंगाबाद और लातूर तक पानी पहुंचाया जाता है. इसके बावजूद गर्मियों में यहां के गांवों में पानी की जबरदस्त किल्लत होती है.
इगतपुरी तालुका के वाबळेवाडी गांव की स्थिति बताती है कि सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों पर हैं. टाकेद ग्राम पंचायत के इस गांव में 2019 में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से पेयजल योजना के तहत पाइपलाइन बिछाई गई, लेकिन आज तक लोगों को नियमित पानी नहीं मिला. 2022 में जल जीवन मिशन के तहत यहां एक कुआं और घर-घर नल लगाए गए, मगर अब वो कुआं ही सूख गया है. महिलाएं रोज सुबह-शाम डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर निजी कुओं से पानी लाती हैं.

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