
जब संजय लीला भंसाली की 'देवदास' के लिए इस्तेमाल हुए मुंबई के सारे जनरेटर, पोस्टपोन हो गई थीं शादियां
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फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों में बड़े-बड़़े सेट्स का इस्तेमाल करने के लिए जाने जाते हैं. उनकी फिल्म 'देवदास' इस बात का एक अच्छा उदाहरण भी है. हाल ही में फिल्म के सिनेमेटोग्राफर ने फिल्म से जुड़े कुछ रोचक किस्से सुनाए हैं जिससे अंदाजा लगता है कि संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं.
बॉलीवुड फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों के लिए जी-जान से मेहनत करते हैं. उनका प्रोजेक्ट स्क्रीन पर इतना ग्रैंड और शानदार दिखता है, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि शायद ही कोई और फिल्ममेकर इसे दोबारा री-क्रिएट कर सकता है. उनकी लगभग हर फिल्म ग्रैंड स्केल पर बनती है फिर चाहे वो पीरियड ड्रामा फिल्म हो या कोई आम लव स्टोरी. साल 2002 में आई 'देवदास' जो इसी नाम से एक बंगाली नोवल का रीमेक है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.
संजय लीला भंसाली ने बनाया था 'देवदास' के लिए ग्रैंड सेट
फिल्म में जिस तरह संजय लीला भंसाली ने सेट्स और लाइटिंग का इस्तेमाल किया था. वो उस समय से पहले कभी नहीं देखा गया था. शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय, माधुरी दीक्षित का काम तो लाजवाब था ही, लेकिन इस फिल्म का हर एक पहलू मंत्रमुग्ध कर देने वाला था. फिल्म के लिए डायरेक्टर ने भी बहुत मेहनत की. उन्होंने बिना किसी चीज की परवाह किए फिल्म को इतना ग्रैंड बनाया. इस बात का खुलासा खुद फिल्म के सिनेमेटोग्राफर बिनोद प्रधान ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान किया.
उन्होंने बताया कि संजय लीला भंसाली ने उन्हें फिल्म के अंदर किसी भी चीज से समझौता नहीं करने की बात कही थी. वो उन्हें आराम से बिना किसी जल्दबाजी के शूट करने की सलाह देते थे. बिनोद ने कहा, 'सच कहूं तो मैंने नहीं सोचा था कि देवदास के सेट्स इतने बड़े होंगे. बल्कि उन्हें फिल्म शूट करने की कोई जल्दी नहीं थी. अक्सर फिल्मों में होता ये था कि आप एक दिन में 15-20 शॉट्स लेते हैं, कभी-कभी 40 भी होते थे. लेकिन देवदास में हम सिर्फ 3-4 शॉट लेते थे.'
उन्होंने आगे फिल्म के ग्रैंड सेट पर भी बताया, 'इस देरी का सबसे बड़ा कारण था लाइटिंग का ठीक से सेटअप होना. जैसे कि पारो का घर पूरा कांच से बना है. तो उस सेट की लाइटिंग करना आसान नहीं था. साथ ही मैं तेजी से काम नहीं करता और मुझे उतने बड़े सेट की लाइटिंग करने के लिए थोड़ा टाइम भी चाहिए था. यही चीज चंद्रमुखी के घर के साथ भी थी. पूरा सेट किलोमीटर लंबा था और जब मेरी टीम और मैंने पहली बार सेट देखा तो हम चौंक गए कि हम कैसे इस फिल्म को शूट कर पाएंगे.'

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