
जंग के बीच 'धर्मसंकट' में ईरान, जानें इजरायल के खिलाफ क्यों ढीले पड़े तेवर
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एक वरिष्ठ ईरानी राजनयिक ने कहा कि ईरान के शीर्ष नेताओं विशेषकर सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता इस्लामी गणराज्य का अस्तित्व है. यही कारण है कि हमले शुरू होने के बाद से भले ही ईरानी अधिकारियों ने इजरायल के खिलाफ कड़ी बयानबाजी की है, लेकिन प्रत्यक्ष सैन्य भागीदारी से परहेज किया है.
तारीख 7 अक्टूबर 2023... जगह गाजा पट्टी... दिन शनिवार... ये वही दिन था जब आतंकी गुट हमास ने इजरायल पर महज 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागे. जवाब में इजरायल ने भी हमास पर हमला बोल दिया. दोनों तरफ से गोलाबारी और रॉकेट अटैक का सिलसिला शुरू हुआ. समय के साथ बढ़ी तल्खियां, मरने वालों का आंकड़ा और अपने-अपने पक्ष का समर्थन करने वाले देशों का दायरा. जहां अमेरिका- ब्रिटेन ने इजरायल का खुलकर समर्थन किया तो रूस-चीन फिलिस्तनी के समर्थन में खड़े दिखे. उधर, 57 मुस्लिम देशों ने इजरायल के खिलाफ एकस्वर में कई पाबंदियां लगाए जाने की वकालत की. इसमें ईरान भी शामिल है. ईरान ने खुलकर कहा था कि अगर गाजा में इजरायल के अपराध जारी रहे तो दुनिया भर के मुसलमानों और ईरान के रेजिस्टेंस फोर्स को कोई नहीं रोक पाएगा. ईरान के विदेश मंत्री ने अपने कट्टर दुश्मन इजरायल को एक सख्त अल्टीमेटम जारी कर कहा था कि गाजा पर अपना हमला रोकें या नहीं तो कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे, लेकिन अब ईरान के तेवर भी ढीले पड़ते जा रहे हैं. ईरान ने दुनिया को आश्वासन दिया कि वह इस जंग में तब तक हस्तक्षेप नहीं करेगा, जब तक इजरायल ईरानी हितों या नागरिकों पर हमला नहीं करता.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका समर्थित इजराइल के खिलाफ कोई भी बड़ा हमला ईरान पर भारी मुश्किल में डाल सकता है. ऐसे में पहले से ही आर्थिक संकट में फंसे देश में मुस्लिम शासकों के खिलाफ जनता का गुस्सा भड़क सकता है. अधिकारियों ने कहा कि विभिन्न सैन्य, राजनयिक और घरेलू प्राथमिकताओं को नोटिस किया जा रहा है. इसके साथ ही गाजा पर इजरायल के हमले के बाद अगर ईरान खुलकर सामने आता है तो चार दशकों से अधिक समय से अपनाई जा रही क्षेत्रीय प्रभुत्व की ईरानी रणनीति को काफी झटका लगेगा.
ईरान के शीर्ष लीडर में बनी ये सहमति
ईरानी मीडिया के अनुसार संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के प्रमुख वाहिद जलालज़ादेह ने कहा कि हम अपने दोस्तों हमास, इस्लामिक जिहाद और हिज्बुल्लाह के संपर्क में हैं. उनका रुख यह है कि वे हमसे सैन्य अभियान चलाने की उम्मीद नहीं करते हैं. वहीं तीन इजरायली सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल ईरान के शीर्ष लीडर के बीच आम सहमति बन गई है कि किसी भी बड़े तनाव को रोकें, जो ईरान को भी संघर्ष में खींचने वाले हैं. ईरान के विदेश मंत्रालय ने उभरते संकट पर देश की प्रतिक्रिया के बारे में टिप्पणी नहीं की. जबकि इजरायली सैन्य अधिकारियों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
ईरान इजरायल को नहीं मानता देश
तीन अधिकारियों के अनुसार जमीन पर ईरानी निष्क्रियता को उन ताकतों द्वारा कमजोरी का संकेत माना जा सकता है, जो दशकों से क्षेत्र में तेहरान के प्रभाव का प्रमुख हथियार रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह ईरान की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिसने लंबे समय से इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन का समर्थन किया है. ईरान इजरायल को एक देश के रूप में पहचानने से इनकार करता है और उसे एक कब्जाधारी के रूप में देखता है.

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