चीन मनमानी करे तो भारत भी खेल सकता है 'ताइवान कार्ड', कांग्रेस सांसद शशि थरूर की सरकार को सलाह
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कांग्रेस के नेता और पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने भारत सरकार को अहम सलाह दी है. उनका कहना है कि अगर चीन, भारत के साथ आगे भी 'सही संबंध नहीं' रखता है, तो भारत भी 'ताइवान कार्ड' खेल सकता है. उनका ये बयान अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा और उस पर चीन की तीखी प्रतिक्रिया के बीच आया है.
अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बीच यूपीए सरकार में विदेश राज्यमंत्री रहे शशि थरूर ने भारत सरकार को अहम सलाह दी है. उन्होंने एक बयान में कहा कि अगर चीन आगे भी भारत के साथ संबंधों में 'मनमानी' करता है, तो सरकार के पास 'ताइवान कार्ड' खेलने का विकल्प है. भारत सरकार, ताइवान के साथ अपने रिश्तों को नए स्तर पर ले जाकर मजबूत बना सकती है.
अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने चीन की तीखी प्रतिक्रिया के बावजूद अपनी ताइवान यात्रा को पूरा किया है. ये बीते 25 साल में पहली बार है जब अमेरिका के किसी बड़े पदाधिकारी ने ताइवान की यात्रा की है. चीन ने नैंसी पेलोसी की इस यात्रा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है वहीं इसके 'गंभीर परिणाम भुगतने' की चेतावनी भी दी है. चीन ने इसे 'आग से खेलना' करार दिया है और ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने का भी ऐलान किया है. चीन का दावा है कि ताइवान उसका हिस्सा है.
'विदेश मंत्रालय चुन सकता है सही समय'
इस बीच कांग्रेसी नेता शशि थरूर का कहना है- अगर चीन आगे भी हमारे साथ 'मनमानी' करता है, तो ये वो कार्ड (ताइवान) है, जिसे हम खेल सकते हैं. हम चीन को दिखा सकते हैं कि हम ताइवान के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर सकते हैं. विदेश मंत्रालय इस राजनयिक कदम के लिए उचित समय चुन सकता है. हालांकि एक बार ये कार्ड खेलने के बाद, इसे बार-बार नहीं खेला जा सकता है.'
शशि थरूर ने आजतक से कहा- दुनिया के अधिकतर देश चीन की 'एक राष्ट्र' नीति को मान्यता देते हैं, लेकिन साथ ही साथ सभी ने ताइवान के साथ एक उचित दूरी रखते हुए आर्थिक संबंध बनाए हैं. ताइवान में हमारा भी एक प्रतिनिधिमंडल है, लेकिन हम इसे दूतावास नहीं कहते, बल्कि एक आर्थिक प्रतिनिधिमंडल बताते हैं.
शशि थरूर ने नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि पेलोसी की इस यात्रा से भले चीन नाखुश हो, लेकिन इससे युद्ध नहीं छिड़ेगा, क्योंकि उनकी (पेलोसी) की ये यात्रा ताइवान को लेकर अमेरिका की लंबे समय से चली आ रही विदेश नीति का उल्लंघन नहीं करती है.
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