क्यों फिल्म का नाम है 72 हूरें? फिल्म मेकर अशोक पंडित ने बताई वजह
AajTak
ट्रेलर की शुरुआत में ही आपने दो कैरेक्टर्स को लालची लहजे में बात करते देखा होगा- 72 हूरें.... वहीं कई इस्लामिक एक्सपर्ट को कहते सुना होगा कि मौत के बाद जन्नत मिलेगी और वहां 72 हूरें तुम्हारा स्वागत करेंगी. मेकर्स फिल्म के जरिए इस मसले को गंभीरता से दिखाने का दावा करते हैं. लेकिन इसका मतलब क्या है, आइये बताते हैं.
72 हूरें....72 हूरें....हर जगह बस इसी नाम की चर्चा हो रही है. जब से फिल्म का अनाउंसमेंट हुआ है, हर कोई विवादों की ही चर्चा कर रहा है. लेकिन इस शब्द 72 हूरें का मतलब क्या है. आपत्तियां हुई तो कई लोगों के जहन में ये सवाल कौंध उठा. 72 हूरें एक ऐसा वाक्यांश है, जिसे जन्नत तक जाने का एक रास्ता बताया जाता है.
आज फिल्म का ट्रेलर लॉन्च किया गया. हालांकि सेंसर बोर्ड ने इसके सीन और डायलॉग पर आपत्ति जताई और सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया. लेकिन मेकर्स ने लास्ट मिनट में बताए बदलाव को दरकिनार करते हुए, 72 हूरें के ट्रेलर को डिजिटली लॉन्च किया. माना जा रहा है कि फिल्म के टाइटल ने भी विरोध को हवा दी है. क्योंकि ये एक धर्म विशेष मालूम पड़ता है. इस इवेंट के दौरान मेकर्स अशोक पंडित और संजय पूरण सिंह ने मीडिया से बात की और गोलमोल बात करते हुए बताया कि क्या है 72 हूरें शब्द का मतलब.
हकीकत है 72 हूरें
अशोक पंडित ने कहा- आपने हमारे अलावा कभी किसी मौलवी या काजी से सुना है 72 हूरें. ये एक हकीकत तो है. ये मैं नहीं बता सकता कि ये हकीकत नहीं है. मैं तो कश्मीर से हूं. वहां हर गली हर कूचे में इसका जिक्र होता है. ये कहना कि ये एक धर्म के खिलाफ है, बिल्कुल गलत है. हम इस फिल्म के जरिए सिर्फ आतंकवाद की बात कर रहे हैं. किसी को बरगला रहे हैं, कहना गलत होगा. हम क्यों जुड़े इस फिल्म के साथ. आतंकवाद को जितना करीब से मैंने देखा है, शायद ही किसी ने देखा होगा. मेरी बदकिस्मती है कि मैं जिस इलाके का हूं, ऐसी जगह का हूं, जो हमने दिन रात इनको फेस किया है.
अशोक ने आगे कहा- जहां तक गंभीरता का सवाल है, ईमानदारी का सवाल है. एक भी चीज इस फिल्म में वो नहीं है, जो कि हमने पकाई हो. तभी हम इस फिल्म से जुड़े हैं. ये एक सीरियस इशू है, कोई धर्म विशेष नहीं है. किसी को टार्गेट नहीं कर रहे हैं. जिस दिन आप फिल्म देखेंगे उस दिन समझेंगे कि हम कितना सही कह रहे थे. जो संजीदा मसले पर बनी होती हैं, उन्हीं फिल्मों को तमाम तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं. मैं टेररिज्म की बात कर रहा हूं, लोग उसे प्रोपेगेंडा बता रहे हैं. मेरी फिल्म एक सीरियस इशू पर बात करती है, तो लोगों को उस पर बात करने से परहेज क्यों है? आप दूसरे पक्ष को सुनना क्यों नहीं चाहते हैं. मैं अपनी फिल्म के जरिए एक बात को कहने की कोशिश कर रहा हूं तो उन्हें दिक्कत क्यों है. कभी-कभी लगता है हमें जानबूझकर टार्गेट किया जा रहा है.
72 हूरें का सच क्या
देशभक्ति-एक्शन को घिस चुका बॉलीवुड, अब लव स्टोरी से निकालेगा हिट्स? सबूत हैं ये आने वाले प्रोजेक्ट्स
'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से लेकर 'आशिकी 2' तक बॉलीवुड से ढेरों रोमांटिक कहानियां ऐसी निकली हैं, जिन्होंने न सिर्फ एक्टर्स को स्टार बना दिया, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी जमकर कमाई की. अब इंडस्ट्री के नए प्रोजेक्ट्स देखें तो ऐसा लगता है कि ये ट्रेंड लौट रहा है...