
क्या है टू-स्टेट सॉल्यूशन, जो इजरायल- फिलिस्तीन के बीच शांति का अकेला रास्ता कहला रहा, किसने लगाया अड़ंगा?
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हाल में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने टू-स्टेट सॉल्यूशन से एक बार फिर इनकार कर दिया. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इजरायल की इस सख्ती से युद्ध काफी लंबा और घातक हो सकता है. जिस टू-स्टेट थ्योरी से इजरायल कन्नी काट रहा है, ताज्जुब ये है कि खुद अमेरिका और यूरोपियन देश भी उसके सपोर्ट में हैं.
चरमपंथी समूह हमास ने पिछले साल 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल पर अटैक कर लगभग 12 सौ लोगों की हत्या कर दी, साथ ही सैकड़ों को बंधक बना लिया था. इसके तुरंत बाद इजरायल ने हमास से जंग शुरू कर दी. चूंकि हमास का ठिकाना गाजा पट्टी है, लिहाजा फिलिस्तीनी नागरिक भी हिंसा का शिकार होने लगे. चार महीने बीतने के बाद भी जंग जारी है. इस बीच ताकतवर देश लगातार इजरायल को टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए मना रहे हैं. खुद यूनाइटेड नेशन्स का मानना है कि ये लड़ाई रोकने का अकेला तरीका है.
क्या है टू-स्टेट सॉल्यूशन
दशकों से चले आ रहे इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच टू-स्टेट की बात शुरू हुई. इस प्लान के तहत फिलिस्तीन को अलग स्टेट बनाने की बात है, जबकि इजरायल अलग रहेगा. इससे दो अलग-अलग कल्चर और धर्म को मानने वाले शांति से अलग रह सकेंगे.
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अभी समस्या ये है कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच कोई सीमा रेखा ही तय नहीं है. इजरायल तो अलग देश है, लेकिन फिलिस्तीन अलग मुल्क नहीं. येदो हिस्सों में बंटा हुआ है. एक हिस्से पर इस्लामी चरमपंथी संगठन हमास का कब्जा है, जिसे इजरायल समेत कई देश आतंकी संगठन मानते हैं. दूसरा हिस्सा वेस्ट बैंक हैं, जिसपर सरकार तो अलग है, लेकिन इजरायल का सिक्का चलता है.

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