
क्या सजा के बाद ढाका लौटेंगी हसीना, भारत किन हवालों से ठुकरा सकता है उनके बांग्लादेश प्रत्यर्पण की मांग?
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बांग्लादेश स्थित इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना पर लगे गंभीर आरोपों को सही ठहराते हुए उन्हें फांसी की सजा सुना दी. इसके साथ ही यह सवाल भी उठने लगा कि अब क्या होगा? दरअसल, अगस्त 2024 में इस्तीफा देने के बाद से हसीना दिल्ली के सेफ शेल्टर में हैं. अब भारत के पास उनके प्रत्यर्पण को लेकर क्या विकल्प हैं?
पिछले साल ढाका की सड़कों पर शुरू हुआ विद्रोह प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे पर जाकर रुका. हालात इतने बिगड़े कि हसीना को भारत में राजनीतिक शरण लेनी पड़ी. हालांकि मुश्किल टली नहीं. पूर्व पीएम के खिलाफ जांच चलती रही. अब इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने उन्हें मानवता के खिलाफ गंभीर अपराधों में दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है. ये वक्त भारत के लिए भी नाजुक है. क्या वो ढाका के दबाव में आकर हसीना को वापस लौटा सकता है या उसके पास दूसरे रास्ते भी हैं?
पिछले साल से ही हसीना की वापसी की मांग हो रही है. दिसंबर 2024 में राजनयिक नोट भेजते हुए ढाका ने कहा था कि सरकार लीगल प्रोसेस के लिए हसीना का प्रत्यर्पण चाहती है. अंतरिम सरकार का आरोप था कि हसीना की वजह से नरसंहार भी हुआ. हालांकि भारत ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इस बीच वहां से इंटरपोल से भी संपर्क किया गया कि वे हसीना को खोजकर ढाका पहुंचाने में मदद करें, लेकिन यहां भी बात नहीं बनी.
लेकिन अब आर-पार का वक्त आ चुका. ढाका स्थित आईसीटी ने हसीना पर लगे आरोपों के आधार पर उन्हें फांसी की सजा सुनाई है. हसीना पर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं. ऐसे में उन्हें बचाने का ये मतलब भी निकल सकता है कि भारत उनके अपराधों का समर्थन कर रहा है. लेकिन इसका दूसरा एंगल भी है.
जिस इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने सजा सुनाई, उसपर पहले भी राजनीतिक इरादों के लिए काम करने का आरोप लग चुका. अब नई सरकार है तो यह भी हो सकता है कि सुनवाई और जांच प्रक्रिया उतनी फेयर न रही हो, या राजनीति से प्रभावित रही हो. इस दलील को रखते हुए भारत हसीना के प्रत्यर्पण से साफ मुकर सकता है.
असल में भारत और बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि ही ये गुंजाइश दे रही है. यह संधि साल 2013 में हुई, जब हसीना पीएम थीं. इसके मुताबिक, नई दिल्ली को अगर लगे कि मांग के पीछे कोई गलत राजनीतिक मंशा है, तो वो प्रत्यर्पण की गुजारिश को रिजेक्ट कर सकता है.
हालांकि इसमें यह भी है कि गंभीर अपराधों के आरोपी को सौंपने से मना नहीं किया जा सकता. चूंकि हसीना के खिलाफ नरसंहार जैसे आरोप हैं, जिन्हें ट्रिब्यूनल सच भी मान चुका, ऐसे में न सौंपने का रास्ता भी मुश्किल हो सकता है, खासकर ऐसे वक्त पर, जबकि ढाका से हमारे रिश्ते पहले से ही तनाव भरे हैं.

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