
केंद्र सरकार ने मंत्रालयों को लिखा पत्र, मांगी गई विपक्षी राज्यों में केंद्रीय योजनाओं की स्टेटस रिपोर्ट
AajTak
गैर-बीजेपी शासित राज्यों में केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाएगी. इस दौरान यह देखा जाएगा कि राज्य सरकारों ने केंद्र की कौन-कौन सी योजनाएं लागू की है, उन योजनाओं के अंतर्गत कितना काम हुआ और जनता को कितना लाभ मिला है.
भारत सरकार ने केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों को पत्र लिखकर विपक्षी राज्यों में ग़रीब कल्याण योजनाओं की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. केंद्र सरकार की किसान, महिला, युवा, संस्कृति, शिक्षा और करीब कल्याण से जुड़ी 16 योजनाओं के लागू होने के बाद राज्यों की स्थिति को लेकर जवाब मांगा गया है. मंत्रालयों से पूछा गया है कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में केंद्रीय योजनाओं की क्या स्थिति है.
इसके साथ ही, गैर-बीजेपी शासित राज्यों में केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाएगी. इस दौरान यह देखा जाएगा कि राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार की कौन-कौन सी योजनाएं अपने राज्यों में लागू की है, उन योजनाओं के अंतर्गत कितना काम हुआ और कितना लाभ जनता को मिला है. केंद्र सरकार की उपलब्धियों और संबंधित राज्यों के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तार से बातचीत होगी. पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना में अभियान चलाया जाएगा. इनमें से दो राज्यों पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
सरकार ने क्यों उठाया ऐसा कदम?
केंद्र सरकार को फीडबैक मिला है कि इन राज्यों में केंद्र सरकार की योजनाओं और कामों के बारे में आम लोगों को जानकारी पहुंचाना जरूरी है. सरकार लोगों तक जानकारी पहुंचाएगी. इस दौरान किसानों, महिलाओं, गरीबों और युवाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर खासतौर से बात होगी.
इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताया जाएगा. उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा लोन और स्टार्ट अप इंडिया योजना के तहत दी गई मदद का भी जिक्र होगा.
यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है, जब मोदी सरकार के ग्यारह साल पूरे हो गए हैं. पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू नहीं किया गया है, जिसमें आयुष्मान भारत योजना शामिल है. पीएम विश्वकर्मा योजना, फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना, हेल्पलाइन और स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं को लागू करने में देरी हुई या फिर किसी और नाम से लागू कर दिया गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को रूसी भाषा में भगवद गीता का एक विशेष संस्करण भेंट किया है. इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी गीता का संस्करण दिया जा चुका है. यह भेंट भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को साझा करने का प्रतीक है, जो विश्व के नेताओं के बीच मित्रता और सम्मान को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.







