
कभी जंग, कभी लालच, दूसरे मुल्कों के आपसी मामले में क्यों दखलंदाजी करता रहता है अमेरिका, क्या कहती है उसकी विदेश नीति?
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दूसरे वर्ल्ड वॉर से लेकर अगले 50 साल तक अमेरिका ने पूरी दुनिया की डेढ़ सौ से भी ज्यादा जगह लड़ाई छेड़ी. वो ऐसा कथित तौर पर शांति के लिए कर रहा था. किसी भी देश के निजी मामले में अमेरिका का ये दखल केवल जंग तक सीमित नहीं, वो उनकी पॉलिसी से लेकर चुनाव तक पर कुछ न कुछ टिप्पणी करता रहता है.
अक्सर दूसरों के मामले में पैर फंसाने वालों की तुलना दिल्ली-हरियाणा की तरफ मजाक-मजाक में चौधरी बनने से होती है. इस तरह से देखें तो अमेरिका हरदम ही कथित चौधरी की भूमिका में रहता है. वो न केवल देशों के बिल्कुल पर्सनल मामलों में घुसता है, बल्कि रोकटोक भी करता है और बात न बने तो धमकाने तक चला आता है. यहां कई सवाल उठते हैं. कब और किन हालातों में देश एक-दूसरे के मुद्दे पर बोल सकते हैं. और ये भी कि अमेरिका के पास इतने अधिकार कहां से आए.
खुद अमेरिकी एक्सपर्ट मानते हैं ये बात
अमेरिकन पॉलिटिकल साइंटिस्ट रॉबर्ट जर्विस ने करीब 2 दशक पहले एक किताब लिखी थी- द न्यू अमेरिकन इंटरवेंशनिज्म. वे कहते हैं- दूसरों के मामले में टांग अड़ाना भी एपल पाई की तरह ही अमेरिका की एक खूबी है. किताब भले पुरानी हो गई, लेकिन दूसरे मुल्कों में घुसने की अमेरिकी आदत लगातार बढ़ ही रही है. हाल ही में उसने यूक्रेन को रूस से लड़ाई के लिए और हथियार देने का वादा करते हुए रूस को चेतावनी दी है. कभी वो ताइवान के लिए लड़ने की बात करता है तो कभी उत्तर कोरिया से भिड़ता है.
किस बात का देता है हवाला
अमेरिका की विदेश नीति में इंटरवेंशन यानी हस्तक्षेप जरूरी चीज है. वो मानता है कि दुनिया में आजादी, मानवाधिकार और लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए सबकुछ किया जाना चाहिए. इसी फोकस के साथ वो देशों के अंदरुनी मुद्दों तक में रोकटोक करने लगता है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

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पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

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यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.








