
अमेरिकी कांग्रेस की रिसर्च विंग की CAA पर टिप्पणी, मुसलमानों को लेकर कही ये बात
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भारत में लोकसभा चुनाव की वोटिंग जारी है. इसी बीच अमेरिकी कांग्रेस के स्वतंत्र रिसर्च विंग की एक रिपोर्ट में सीएए पर टिप्पणी की गई है. सीएए को मार्च में लागू किया गया जिसे लेकर इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए जा रहे हैं. रिपोर्ट में आलोचकों के हवाले से कहा गया है कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है.
अमेरिकी कांग्रेस की स्वतंत्र रिसर्च विंग ने भारत में इस साल लागू हुए 'नागरिकता संशोधन विधेयक' (CAA) को लेकर चिंता जताई है. रिसर्च विंग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें कहा गया है कि विधेयक के कुछ प्रावधान संभावित रूप से 'भारतीय संविधान का उल्लंघन' करते हैं.
सीएए 1955 के नागरिकता विधेयक में एक संशोधन है जिसे इसी साल मार्च में लागू किया गया है. विधेयक चार साल पहले 2019 में संसद में पास हुआ था जिसके लागू होने के बाद अब 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के गैर-मुसलमान शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी.
अमेरिकी कांग्रेस की स्वतंत्र रिसर्च विंग, कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) की रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के साथ सीएए भारत की मुस्लिम आबादी के अधिकारों को खतरे में डाल सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएए का विरोध करने वाले लोग सत्ताधारी बीजेपी से डरे हुए हैं जो 'हिंदू बहुसंख्यकवादी, मुस्लिम विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है, जो आधिकारिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के रूप में भारत की स्थिति को खतरे में डालती है और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों और दायित्वों का उल्लंघन करती है.'
सीएए लागू करने की टाइमिंग पर सवाल
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीएए को ऐसे समय में लागू किया गया जब भाजपा अपना चुनाव प्रचार शुरू कर रही थी और कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि इसे लागू करने की टाइमिंग 'बड़े पैमाने पर राजनीति से प्रेरित' है.

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