अफगानिस्तान: तालिबान के दो गुटों में क्रेडिट की जंग, हक्कानी ग्रुप और मुल्ला बरादर आमने-सामने!
AajTak
तालिबान के दो गुटों में क्रेडिट वॉर चल रही है. अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद अभी बहस इस बात पर चल रही है कि अमेरिका को वापस भेजने में किसकी भूमिका बड़ी है.
अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद तालिबान के दो गुटों में झगड़ा बढ़ता जा रहा है. तालिबान के अलग-अलग गुटों के समर्थकों में राष्ट्रपति पैलेस में ही झगड़ा हुआ, जिसके बाद बड़े लीडर्स को मामला शांत करवाना पड़ा. ये तब हुआ है जब हाल ही में तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार का ऐलान किया है.
नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
देश के ज्यादातर मैदानी इलाकों में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लिया है. LG ने निर्देश दिया है कि इस भीषण गर्मी में मजदूरों को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक काम से छुट्टी मिलेगी. साथ ही मजदूरों को मिलने वाली इस राहत के बदले कोई भी उनकी सैलरी नहीं काट सकेगा.
करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.