Udhayanidhi Stalin: सामाजिक न्याय वाली फिल्मों के हीरो धार्मिक वैमनस्य पर क्यों उतर आए?
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उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को खत्म करने के बयान को लेकर जमकर सियासत हो रही है. भाजपा के साथ कई हिंदू संगठन इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं. सिनेमा से सियासत में आए उदयनिधि की ज्यादातर फिल्मों में सामाजिक न्याय की वकालत की गई है. यहां तक कि उनके अधिकतर किरदारों के नाम हिंदू देवी-देवताओं पर हैं. ऐसे में वो धार्मिक वैमनस्य पर क्यों उतर आए ये समझना जरूरी है.
हिंदी बेल्ट में साउथ के सिनेमा के बाद सियासत की वजह से सनसनी मची हुई है. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने सनातन धर्म को खत्म करने का बयान देकर बवाल मचा दिया है. उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना जैसी बीमारियों से कर दी है. उन्होंने चेन्नई में आयोजित सनातन उन्मूलन कार्यक्रम में कहा था, ''मच्छर, डेंगू, फीवर, मलेरिया और कोरोना ये कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनका केवल विरोध नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें खत्म करना जरूरी होता है.'' उनका ये बयान उनकी कथनी और करनी में अंतर को दर्शाता है. क्योंकि उनका परिवार हमेशा सामाजिक न्याय की बात करता रहा है. ये विषय उदयनिधि की फिल्मों में भी देखने को मिलता है.
द्रविड़ आंदोलन के जरिए तमिलनाडु की राजनीति में सक्रिय हुए एम करुणानिधि के पोते उदयनिधि अपने दादा की तरह ही सिनेमा से सियासत में आए हैं. उनकी आखिरी रिलीज फिल्म 'मामनन' (29 जून 2023) है, जिसमें उन्होंने सामाजिक न्याय की जमकर वकालत की है. उदयनिधि इस फिल्म के प्रोड्यूसर और एक्टर दोनों हैं. इसमें उन्होंने एक दलित विधायक के बेटे का किरदार निभाया है, जो समाज के जाति व्यस्था के खिलाफ होता है. दलित होने की वजह से उसे कई बार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है. इस वजह से वो अगणी जातियों के खिलाफ हो जाता है. अपने हक और हुकूक की लड़ाई लड़ता है. इस फिल्म में राजनीति में जातिगत मतभेद और ऊंच-नीच को भी दिखाया गया है.
केवल 'मामनन' ही नहीं इससे पहले रिलीज हुई कई अन्य फिल्मों में उदयनिधि ने सामाजिक न्याय की ही बात की है. इसमें 'मनीथन', 'कलागा थलाइवन' और 'नेन्जुकु नीधि' जैसी फिल्मों का नाम प्रमुख है. आई. अहमद के निर्देशन में बनी तमिल फिल्म 'मनीथन' बॉलीवुड की 'जॉली एलएलबी' की रीमेक है. 'जॉली एलएलबी' की कहानी साल 1999 के संजीव नंदा हिट-एंड-रन केस और प्रियदर्शनी मट्टू केस से प्रेरित है. इस फिल्म में धन पिशाचों के खिलाफ और मजदूरों के हक की लड़ाई को दिखाया गया है. इसी तरह अरुणराज कामराज की फिल्म 'नेन्जुकु नीधि' बॉलीवुड की 'आर्टिकल 15' की रीमेक है. इसमें भी धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव के खिलाफ लड़ाई को दिखाया गया है. इस तरह उदयनिधि की फिल्मों के सुर से समझा सकता है कि उन्होंने हमेशा सामाजिक न्याय की बात की है, लेकिन अब धार्मिक वैमनस्य पर उतर आए हैं, इसके पीछे की वजहों को भी समझा जा सकता है.
इसके साथ ही ये जानना भी दिलचस्प है कि उदयनिधि की ज्यादातर फिल्मों में उनके किरदारों के नाम हिंदू देवी-देवताओं से संबंधित हैं. 2012 में उनकी पहली फिल्म 'ओरु कल ओरु कन्नडी' रिलीज हुई थी. इसमें उदयनिधि के किरदार का नाम सरवनन था. भगवान कार्तिकेय को मुरुगन या सरवनन के नाम से भी जाना जाता है, जो कि एक हिंदू देवता हैं. इनके अधिकतर भक्त तमिल हिंदू हैं. इनकी पूजा तमिलनाडु में सबसे ज्यादा होती है. 2014 में रिलीज हुई फिल्म 'इधु कथिरवेलन कधल' में उदयनिधि के किरदार का नाम कथिरवेलन था. ये भगवान शनमुख का एक नाम है, जिनके 6 चेहरे और 12 हाथ होते हैं. साल 2017 में रिलीज फिल्म 'पोधुवगा एम्मनसु थंगम' में उनके किरदार का नाम 'गणेश' था. श्री गणेश की पूजा तो हिंदू धर्म के अनुयाई सबसे पहले करते हैं. इस तरह अपने सिनेमाई करियर में 17 फिल्में करने वाले उदयनिधि के ज्यादातर किरदार हिंदू धर्म से ही जुड़े हुए हैं.
उदयनिधि स्टालिन के किरदारों के हिंदू नाम...
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