
Shabaash Mithu Review: शाबाश मिथु में रन आउट हुईं तापसी, मिताली राज डिजर्व करती हैं बेहतर बायोपिक
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मिताली राज की बायोपिक शाबाश मिथु रिलीज हो गई है और यह बिल्कुल वैसी नहीं है, जैसी आपने उम्मीद की थी. हमारे रिव्यू में जानें फिल्म के बारे में.
भारत की वीमन्स क्रिकेट टीम की अपनी अच्छी फैन फॉलोइंग है. हमारे देश में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हैं, जिन्हें पसन्द किया जाता है. उन्हीं में से एक टॉप क्रिकेटर हैं मिताली राज. बचपन से ही क्रिकेट के खेल में आगे रहने वाली मिताली टीम इंडिया की यंगेस्ट कैप्टेन बनी थीं. उनका खेल सही में अद्भुत है. ऐसे में जब मिताली राज की जिंदगी और क्रिकेट करियर पर फिल्म बनने का ऐलान हुआ, तो जाहिर तौर पर फैन्स ने खुशियां मनाई थी. लेकिन मिताली पर बनी तापसी पन्नू स्टारर फिल्म शाबाश मिथु, फैन्स की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती.
क्या है कहानी?
फिल्म की कहानी 8 साल की मिताली से शुरू होती है, जो भरतनाट्यम सीखा करती थी. सचिन तेंदुलकर की फैन मिताली को बचपन से ही क्रिकेट में दिलचस्पी थी. इस दिलचस्पी को हवा उनकी दोस्त नूरी ने उन्हें दी. इसके बाद उनकी मुलाकात संपत सर (विजय राज) से हुई. संपत ने 7 सालों तक दोनों को ट्रेन किया. फिर एक दिन अचानक नूरी की शादी हो जाने के बाद मिताली ने अकेले ही अपनी नेशनल और फिर इंटरनेशनल क्रिकेट की जर्नी शुरू की. आगे चलकर वह बेस्ट क्रिकेटर और टीम इंडिया की कैप्टन बनीं. अपने करियर में तो मिताली ने बढ़िया परफॉर्म किया ही, साथ ही कई बड़े बदलाव भी वह वीमेंस क्रिकेट को लेकर सिस्टम में लेकर आईं.
इस फिल्म की कहानी जबरदस्त है. साधारण और भोली-भाली मिताली के छुपछुप कर क्रिकेट खेलने से लेकर टीम इंडिया का कैप्टेन बनने तक का सफर किसी को भी प्रेरणा देने के लिए काफी है. लेकिन अफसोस, फ़िल्म शाबाश मिथु, मिताली की इस जबरदस्त और एक्स्ट्राऑर्डिनरी कहानी के साथ न्याय नहीं करती.
ये फिल्म बेहद स्लो है और बोरिंग है. यही चीज इसे काफी हद तक असहनीय बनाती है और आप इसके खत्म होने का इंतजार करते हैं. फिल्म में ऐसे पल आते हैं जब आपको लगता है कि बस यही अंत है, लेकिन फिर कहानी आगे बढ़ने लगती है और आप एक जगह तक पहुंचने वे बाद अपना माथा पीटने लगते हैं.













