
King Charles III: 70 साल बाद ब्रिटेन में लौटी किंगशिप, जानिए किंग चार्ल्स-3 के पास क्या होगी पावर?
AajTak
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के आठ सितंबर को निधन के बाद उनके बड़े बेटे चार्ल्स ब्रिटेन के नए राजा बन गए हैं. वह ब्रिटेन की गद्दी संभालने वाले सबसे उम्रदराज शासक हैं. वह 72 साल के हैं. ब्रिटेन की किंगशिप के अलावा उनके पास दर्जनभर से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष की जिम्मेदारी भी है.
महरानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के तुरंत बाद उनके सबसे बड़े बेटे चार्ल्स स्वतः ही ब्रिटेन के राजा बन गए. वह दुनियाभर में ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय के रूप में जाने जा रहे हैं. हालाकि, उनकी आधिकारिक रूप से ताजपोशी 2023 में हो सकती है. ब्रिटेन की किंगशिप के अलावा उनके पास दर्जनभर से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष की जिम्मेदारी भी है. लेकिन इसके साथ ही चार्ल्स ऐसे उत्तराधिकारी भी रहे, जिन्हें ब्रिटेन की गद्दी तक पहुंचने में सबसे ज्यादा समय लगा.
ब्रिटेन में संवैधानिक राजशाही की भूमिका
ब्रिटेन में कानून द्वारा सीमित राजशाही प्रणाली है. ब्रिटेन का राजा या रानी हेड ऑफ स्टेट तो होता है, लेकिन उनकी शक्तियां पूरी तरह से औपचारिक या प्रतीकात्मक होती हैं. इसका मतलब है कि ब्रिटेन के सरकारी कामकाज में उनका हस्तक्षेप बहुत कम होता है. ब्रिटेन के किंग के रूप में चार्ल्स तृतीय को अब राजनीतिक रूप से तटस्थ रहने की जरूरत है. क्योंकि ब्रिटेन की गद्दी पर बैठने वाला शख्स देश के मामलों में अधिक मुखर होकर टिप्पणी नहीं कर सकता. यह ब्रिटेन की राजशाही के ही नियम है कि देश के शासक का झुकाव किसी भी राजनीतिक पार्टी की ओर नहीं होना चाहिए. सरकार से जुड़े मामलों पर शासक को प्रधानमंत्री के जरिए ही दैनिक या साप्ताहिक तौर पर जानकारी दी जाती है.
किंग चार्ल्स तृतीय की शक्ति के मायने
ब्रिटेन के अलावा जहां तक कॉमनवेल्थ देशों का सवाल है, वहां संवैधानिक राजशाही है. इन देशों में भी राजा की शक्तियां सांकेतिक होती हैं और राजनीतिक फैसलों में उनका सीधा दखल नहीं होता. राजनीतिक फैसले उन देशों की चुनी गई संसद या चुने गए प्रधानमंत्रियों द्वारा ही लिए जाते हैं. राजा या शासक सिर्फ स्टेट का प्रमुख होता है, सरकार का प्रमुख नहीं होता. इसका मतलब है कि सरकारी कामकाज में राजशाही का दखल नहीं होता.
राजशाही के हालांकि कुछ संवैधानिक कर्तव्य होते हैं, जिसमें से एक नई सरकारों को मंजूरी देना है. ब्रिटेन में भी राजा औपचारिक रूप से संवैधानिक प्रणाली से चुने गए प्रधानमंत्री को नियुक्त करता है. इसके लिए चुनाव जीतने वाली पार्टी के प्रमुख को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है. इसके साथ ही कुछ निश्चित अधिकारियों की नियुक्ति करता है या उन्हें स्टेट ऑनर देता है. लेकिन ब्रिटेन से बाहर गवर्नर-जनरल के रूप में एक राजशाही प्रतिनिधि की नियुक्ति की जाती है, जो इन कर्तव्यों को पूरा करता है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.







