
CM ममता ने रोकी आलू की सप्लाई... इस राज्य में 50 रुपये किलो पहुंच गया भाव
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पश्चिम बंगाल से रोजाना रायपुर और प्रदेश के अन्य बाजारों में करीब 30 ट्रक आलू आते हैं. एक ट्रक में 25 से 30 टन आलू रहता है. इसी तरह से उत्तर प्रदेश से आने वाला गोला और पहाड़ी आलू रोज करीब 20 ट्रक आता है.
छत्तीसगढ़ में आलू के दाम आम आदमी का दम निकाल रहे हैं. आमतौर पर आलू 20 से 25 रुपये के बीच मिलता था. लेकिन अचानक इसके दाम 45 से 50 रुपये तक चले गए हैं. इसकी वजह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक फैसला है. आलू की कम आवक को देखते हुए पश्चिम बंगाल ने दूसरे राज्यों को आलू आपूर्ति को बाधित कर दिया है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में पश्चिम बंगाल से पहाड़ी आलू आता है. वहीं उत्तर प्रदेश से आने वाले गोला और पहाड़ी आलू की कीमत कुछ कम है. यह 40 रुपये किलो बिक रहा है. लेकिन इसकी डिमांड बहुत कम रहती है.
छत्तीसगढ़ में आलू के दाम बेकाबू
छत्तीसगढ़ में हर दिन करीब 50 ट्रक आलू का आवक होता है, यानी करीब हजार से 1500 टन. लेकिन इस समय इससे आधा आलू छत्तीसगढ़ पहुंच रहा है. आलू को हर सब्जी के लिए राजा माना जाता है. आमतौर पर सामान्य समय में आलू थोक में 5 से 10 रुपये किलो, और खुदरा बाजार में 15 से 20 रुपये किलो बिकता है. कई बार भारी आवक और ज्यादा पैदावार के कारण खुदरा बाजार में आलू का भाव 8 से 10 रुपये किलो तक गिर जाता है. सीजन के बाद आलू के दाम बढ़कर 25 से 30 रुपये किलो तक हो जाता है. लेकिन आलू की कीमत 40 से 50 रुपये तक बहुत कम ही पहुंचती है. कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में आलू महंगा होने के पीछे पश्चिम बंगाल सरकार का एक फैसला है.
पश्चिम बंगाल से सप्लाई कम
कारोबारियों के मुताबिक इस समय आलू की कीमत आसमान पर जाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि छत्तीसगढ़ सहित देश के ज्यादातर राज्यों में पहाड़ी आलू की आवक बंगाल से होती है. पिछले कुछ समय से पश्चिम बंगाल सरकार ने आलू की आवक पर थोड़ा रोक लगा दिया है. सरकार चाहती है कि पहले अपने राज्य में पूर्ति हो, उसके बाद बाहर भेजा जाए. जिससे आलू की कीमत आसमान पर पहुंच गई है. रायपुर की थोक मंडी में कीमत 30 से 32 रुपये है, जबकि खुदरा मार्केट में कीमत 50 रुपये किलो हो गई है.













