हर बेड के साथ सिलेंडर अटैच, मालदीव के उन 'कबूतर खानों' की कहानी, जहां जलकर मर गए 9 भारतीय
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मालदीव के माले में मावेयो मस्जिद के पास जिस बिल्डिंग में आग लगी थी, उसे स्थानीय लोग 'कबूतर खानों' के रूप में जानते हैं. इन 'कबूतर खानों' में कई विदेशी कामगार रहते हैं, जिनमें भारतीय, श्रीलंकाई और बांग्लादेशी शामिल हैं. इस घटना पर मालदीव के विदेश मंत्री ने दुख जताया है.
मालदीव की राजधानी माले में जिस बिल्डिंग में आग लगी थी, इसमें करीब 38 विदेशी कामगार रह रहे थे. कार गैरेज के ऊपर रह रहे इन कामगारों के बिस्तर के बगल में ही गैस सिलेंडर था, जहां गुरुवार को भीषण आग लग गई. इस हादसे में 9 भारतीयों समेत 10 लोग मारे गए. मावेयो मस्जिद के पास प्रवासी कामगारों के लिए बनी इस बिल्डिंग को 'कबूतर खानों' के नाम से जाता है. इनमें कई विदेशी कामगार रहते हैं, जिनमें भारतीय, श्रीलंकाई और बांग्लादेशी शामिल हैं.
कार रिपेयरिंग गैरेज में रात करीब साढ़े 12 बजे आग लगी थी. जिस गैरेज में आग लगी वो ग्राउंड फ्लोर पर था. मीडिया से बात करते हुए एक बांग्लादेशी ने बताया कि इस बिल्डिंग में रहने वाले लोगों से 700 एमवीआर यानी करीब 12 हजार रुपये हर महीने किराया लिया जाता है. इनमें से ज्यादातर कमरों में गैस सिलेंडर समेत खाने पकाने का सामान मौजूद था.
स्थानीय न्यूज पोर्टल के अनुसार, मालदीव राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण (MNDA) के अधिकारियों ने बताया कि प्रवासी क्वार्टरों के अंदर बिस्तरों के बगल में गैस सिलेंडर रखे हुए थे. अधिकारियों ने कहा कि जब हम घटनास्थल पर पहुंचे तो आग पहले ही फैल चुकी थी. फायर एंड रेस्क्यू सर्विस के कमांडेंट कर्नल इब्राहिम रशीद ने कहा कि हम लोगों की पहली प्राथमिकता आग पर नियंत्रण करने और इसे आगे फैलने से रोकने की थी.
'गैरेज की वजह से आग पर काबू पाना मुश्किल'
इब्राहिम ने कहा कि आग को पड़ोसी घरों में फैलने से रोकने के लिए दमकलकर्मियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी. इसके साथ ही इब्राहिम ने बताया कि यहां अलग-अलग प्रकार के बहुत सारे गैस सिलेंडर थे. ग्राउंड फ्लोर पर गैरेज था. इसलिए आग पर काबू पाना चुनौतीपूर्ण लगा. गुरुवार की रात लगी आग ने पड़ोस वाले घर को भी काफी नुकसान पहुंचाया. इसके साथ ही आग में झुलसकर जलने वाले लोगों की पहचान मुश्किल हो गई क्योंकि बरामद किए गए शव गंभीर रूप से जले हुए थे.
चार घंटे की मशक्कत के बाद पाया गया काबू