
वर्ल्ड बैंक ने दी स्लोडाउन की चेतावनी, नहीं हुए ये काम तो बिगड़ेंगे हालात
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ग्लोबल आर्थिक मंदी की आशंका के बीच वर्ल्ड बैंक ने एक चिंताजनक रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में विकसित देशों की ग्रोथ कम रहने की आशंका जताई जा रही है. अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग संकट के चलते मार्केट पहले से दी दबाव में नजर आ रहा है.
ग्लोबल इकोनॉमी मंदी (Economic Recession) के बादल मंडरा रहे हैं. अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट ने स्लोडाउन की आशंका को और बढ़ा दिया है. अब वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने अपनी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है. वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि ग्लोबल इकोनॉमी की रफ्तार साल 2030 तक तीन दशक में सबसे कम रह सकती है. वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रोडक्टिविटी और लेबर सप्लाई को बढ़ावा देने, निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ सर्विस सेक्टर की क्षमताओं को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना होगा. रिपोर्ट में कोविड-19 और रूस-यूक्रेन के बाद पोटेंशियल आउटपुट ग्रोथ रेट का वैल्यूएशन किया गया है.
आर्थिक ताकतें कमजोर
वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई है कि पिछले तीन दशकों में ग्रोथ और समृद्धि को बढ़ावा देने वाली लगभग सभी आर्थिक ताकतें कमजोर हो गई हैं. इस गिरावट की वजह से 2022-2030 के बीच एवरेज ग्लोबल पोटेंशियल GDP ग्रोथ में कमी आने की आशंका है.
यह ट्रेंड सिर्फ विकसित इकोनॉमी तक ही सीमित नहीं है. विकसित देशों में भी ग्रोथ कम होने का अनुमान है. इस देश के बाकी समय में वार्षिक ग्रोथ चार फीसदी रह सकती है. अगर ग्लोबल संकट आता है, तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस मंदी का हम जिक्र कर रहे हैं वो और तेज हो सकती है, यदि एक और वैश्विक वित्तीय संकट उभरता है, खासकर अगर वह संकट वैश्विक मंदी के साथ हो तो ये मंदी विकास की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है. विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए ये एक 'लॉस्ट डेकेड' साबित हो सकता है.
बैंकिंग संकट ने बढ़ाई टेंशन













