
रूस में हुई शांति वार्ता में भारत को ना बुलाने को अफगानिस्तान ने बताया बड़ी गलती
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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमर ने शांति वार्ता में भारत को शामिल किए जाने का पुरजोर समर्थन किया है. अतमर ने कहा कि अमेरिका-रूस समेत सभी पक्षकारों को ये समझ लेना चाहिए कि भारत के बिना कोई भी शांति प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सबको चौंकाते हुए अमेरिकी योजना के विपरीत एक नया शांति प्रस्ताव दिया है. अशरफ गनी ने कहा है कि अगर तालिबान सीजफायर का ऐलान करने और चुनाव में शामिल होने के लिए राजी हो जाता है तो वह चुनाव कराने और नई सरकार को सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं. अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमर ने कहा है कि उन्होंने इस प्रस्ताव को लेकर भारतीय नेतृत्व के साथ भी बातचीत की है. अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने अफगान शांति प्रक्रिया में भारत की भूमिका अहम बताई और कहा कि भारत को इससे दूर रखना बहुत बड़ी गलती है. 'द हिंदू' से बातचीत में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमर ने कहा, "भारत हमेशा से अफगान लोगों की मदद करता रहा है और हमारा बहुत अच्छा दोस्त है. भारत अफगान सरकार के साथ हमेशा खड़ा रहा है, खासकर पिछले दो दशकों में शांति और स्थिरता के प्रयासों को लेकर. अफगानिस्तान के लोगों के लिए ये बहुत ही अहम बात है कि उनके पास एक ऐसा दोस्त है जो हमेशा उनके लिए मौजूद है. भारत ने ना केवल राजनीतिक तौर पर बल्कि आर्थिक रूप से भी अफगानिस्तान की खुलकर मदद की है. भारत ने हमेशा कहा है कि जो शांति प्रक्रिया अफगानों को स्वीकार्य होगी, वही उसे भी मान्य होगी. इसलिए हम भारत को फिर से शुक्रिया कहना चाहते हैं, भारत की तरफ से जिस तरह की समझदारी दिखाई जाती है, वो सराहनीय है."
जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

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