
रूस-अमेरिका साथ क्या बैठे... इधर जेलेंस्की हुए नाराज और उधर चीन के मन में भी उठने लगे सवाल
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मंगलवार को रूस और अमेरिका के बीच सऊदी अरब में वार्ता हुई. ये वार्ता यूक्रेन संकट को खत्म करने और द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के मकसद से हुई. चीन के एक्सपर्ट्स संदेह जता रहे हैं कि वार्ता से दोनों देशों के संबंध सुधरेंगे.
कई सालों के बाद अमेरिका और रूस में उच्चस्तरीय बातचीत हुई है. दोनों देशों के बीच मंगलवार को यह बातचीत सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुई जिसमें यूक्रेन संघर्ष के समाधान और द्विपक्षीय संबंधों में गतिरोध को समाप्त करने पर चर्चा हुई. लेकिन इस वार्ता में यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया जिसे लेकर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की बेहद नाराज हुए. इधर, अमेरिका-रूस की इस वार्ता पर चीन की तरफ से भी कई सवाल उठाए जा रहे हैं.
अमेरिका और रूस की बैठक लगभग 4.5 घंटे तक चली. वार्ता में रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, राष्ट्रपति के सहायक यूरी उशाकोव और रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (RDIF) के सीईओ किरिल दिमित्रिव ने किया. वार्ता में अमेरिका की तरफ से विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और मध्य पूर्व के लिए विशेष दूत स्टीफन विटकॉफ ने भाग लिया.
बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, अमेरिका और रूस "अपने-अपने राजनयिक मिशनों के संचालन को सामान्य बनाने पर सहमत हुए हैं. दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए एक परामर्श तंत्र बनाने पर भी राजी हुए हैं.
अमेरिकी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष यूक्रेन में संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए प्रयास करने पर सहमत हुए.
वार्ता में नहीं बुलाए गए जेलेंस्की, हुए नाराज
रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए हो रही चर्चा में यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया जिसे लेकर राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की बेहद नाराज हैं. उन्होंने कहा है कि यूक्रेन की संलिप्तता के बिना युद्ध खत्म करने को लेकर कोई शांति समझौता नहीं हो सकता.

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