मुकदमे में लंबा समय और अभियुक्तों की मृत्यु, बरी करने का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया है कि मुकदमे और उसकी अपील में लंबा समय लगने और अपील के दौरान दूसरे अभियुक्तों की मृत्यु हो जाने के आधार पर आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया है कि मुकदमे और उसकी अपील में लंबा समय लगने और अपील के दौरान दूसरे अभियुक्तों की मृत्यु हो जाने के आधार पर आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता. जस्टिस इन्द्रा बनर्जी और जस्टिस वी सुब्रहमण्यम ने हत्या के आरोपी की ओर से दायर अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बराकर रखा है. आरोपी करन सिंह को एडिशनल सेशन जज शाहजहांपुर ने हत्या के मामले में वर्ष 1983 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
भैंस के पैसों के लिए हुई थी हत्या 42 साल पूर्व 1980 में ब्रह्मपाल सिंह ने राजकुमार सिंह को 1900 रूपये में एक भैंस को बेचा था. उधार पैसों का तकाजा करने पर भैंस के खरीददार राजकुमार सिंह ने ब्रह्मपाल सिंह को अपने गांव उत्तर प्रदेश के सिमरा खेरा बुलाया. जिस पर ब्रह्मपाल सिंह अपने साथ अपने साले श्रीपाल सिंह, बादशाहसिंह और महेन्द्र सिंह को साथ लेकर सिमराखेरा गया. वहा पहले से हथियारों के साथ तैयार करन सिंह, राजकुमार सिंह, सुखलाल और जगदीश सिंह ने बंदूक से फायर करना शुरू कर दिया. फायरिंग में ब्रह्मपाल सिंह के सिर पर गोली लगने से मौके पर ही उसकी मौत हो गयी. ब्रह्मपाल सिंह के साथ आए दूसरे लोग वहां से भागने में कामयाब हो गये.