
फिल्म अच्छी है इसका प्रमाण करोड़ों की कमाई नहीं, बोले अमोल पालेकर, नेपोटिज्म पर दिया जवाब
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दिल्ली में हुए साहित्य आजतक 2025 के दूसरे दिन एक्टर अमोल पालेकर ने अपनी नई किताब पर बात की. इस किताब का नाम मराठी में एवज, हिंदी में अमानत और इंग्लिश में व्यूफाइंडर रखा गया है. एक्टर ने इवेंट में अपनी जिंदगी, फिल्मों, कमर्शियल सक्सेस, नेपोटिज्म सहित पैरेलल सिनेमा पर बात की.
बॉलीवुड के सीनियर एक्टर अमोल पालेकर ने साहित्य आजतक 2025 में शिरकत की. दिल्ली में हुए साहित्य आजतक के दूसरे दिन यानी 22 नवंबर को दस्तक दरबार मंच पर उन्होंने अपनी नई किताब, जो कि उनकी मेमोयर है, पर बात की. इस किताब का नाम मराठी में एवज, हिंदी में अमानत और इंग्लिश में व्यूफाइंडर रखा गया है. अमोल ने बताया कि इस संस्मरण किताब में लिखा है कि 'जो विरोध करने में विश्वास रखते हैं, उन्हें ये किताब पसंद आएगी.' इवेंट में अमोल पालेकर के साथ उनकी पत्नी संध्या गोखले भी पहुंचीं, जो एक लेखिका हैं.
विरोधी कैसे बने अमोल पालेकर?
अमोल पालेकर ने इस सवाल के जवाब में कहा, 'मैं ये जरूर कहूंगा कि मैं बचपन से बागी या किसी किस्म का लड़का नहीं था. लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई और दिग्गजों से सीखने को मिला, तो एक अलग नजरिया क्या होता है और उसका महत्व क्या होता है ये मेरी समझ में आया. किसी भी चीज को मेनस्ट्रीम, एक ही दिशा में जाती है. कोई रास्ता हो, वो मुझे लुभावना लगा. जो भी इसमें विश्वास करते हैं, मैंने इसको उन्हीं को समर्पम किया है.
अमोल से पूछा गया कि स्क्रीन और आपकी पर्सनैलिटी एकदम अलग है. ये कहां से शुरू हुआ? उन्होंने कहा, 'मैं बस इतना कहूंगा कि जो बचपन में कहानी हम सबने पढ़ी थी. एक हाथी और सात अंधे. हर अंधा, जिसके हाथ में हाथी का जो अंग आता है उसको लगता है कि हाथी उतना ही है. मेरे बारे में यही कहना सही होगा कि सिनेमा मेरी जिंदगी का एक छोटा-सा हिस्सा है. उसके अलावा मेरी जिंदगी के कई हिस्से हैं. अगर आप ये किताब पढ़ें तो आपको पता चलेगा कि अमोल पालेकर असल में कौन है.
चित्रकार से एक्टर कैसे बने अमोल?
अमोल पालेकर चित्रकार थे और उनकी गर्लफ्रेंड उस समय नाटक में काम करती थी. अमोल उन दिनों गर्लफ्रेंड को ड्रॉप और पिक करने जाते थे. सत्यदेव दुबे, जो उस समय के बड़े थिएटर डायरेक्टर हुआ करते थे. उन्होंने अमोल को नाटक में काम दिया था. अमोल पालेकर ने इस बारे में बताया, 'उन्होंने मुझसे कहा था कि मेरे अगले नाटक में काम करोगे? मैंंने सोचा कि हां कहूं या न कहूं. तो दुबे ने खास अपनी शैली में कहा कि आप इस गलतफहमी में मत रहना कि मैंने तुम्हारे अंदर छुपा हुआ कलाकार ढूंढ लिया है. मैं बस ये देख रहा हूं कि तुम्हारे पास बहुत समय है. नाटक में काम करोगे तो कुछ अच्छा कर पाओगे. मैं 23 साल का था. ये क्लेरिटी मेरे लिए बहुत अच्छी थी, क्योंकि मेरे जहन में ऐसा कुछ था नहीं कि मैं एक्टर बनूं. इसलिए मैं इसे एक्सीडेंट कहता हूं. सुखद एक्सीडेंट कह सकते हैं.'

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