
परमाणु ठिकानों पर हमले का कैसे बदला लेगा ईरान? पड़ोस के अमेरिकी एयरबेस होंगे निशाना या इजरायल पर ही निकालेगा गुस्सा
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मिडिल ईस्ट में ईरान के आसपास बड़े पैमाने पर अमेरिका के एयरबेस हैं. ये एयरबेस 15 साल पुराने हैं. ईरान, इराक, कुवैत, बहरीन, कतर, सऊदी अरब, जॉर्डन, सीरिया, साइप्रस और तुर्किए के आसपास अमेरिका के एयरबेस की भरमार हैं.
इजरायल और ईरान की जंग अब अमेरिका की एंट्री से वैश्विक स्तर पर हलचल तेज हो गई है. ईरान के तीन परमाणु ठिकाने फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर अमेरिकी B2 बॉम्बर्स ने बम बरसाए जिसमें इन ठिकानों के नेस्तनाबूद होने का दावा किया जा रहा है. ईरान के खिलाफ अमेरिका के इस सीधे वार के बाद तेहरान हाई अलर्ट पर है. ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि ईरान इस हमले का बदला किस तरह से लेगा?
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने अमेरिकी हमलों के बाद कहा है कि आज सुबह जो हुआ, वो बेहद खतरनाक और आपराधिक है. इसका असर हमेशा के लिए रहेगा. दुनिया के हर देश को इस पर चिंतित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत हमारे पास आत्मरक्षा का अधिकार है. हम हमारे लोगों और देश की संप्रभुता और उसके हितों की रक्षा के लिए हर विकल्प चुनेंगे.
ईरान के बड़े परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद एक बड़ी आशंका जताई जा रही है कि तेहरान मिडिल ईस्ट में अमेरिकी एयरबेस को निशाना बना सकता है. ईरानी सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी थीं कि इस जंग में अमेरिका के शामिल होने पर मिडिल ईस्ट में अमेरिका के एयरबेस उनका प्राथमिक लक्ष्य हो सकते हैं.
मिडिल ईस्ट में ईरान के आसपास बड़े पैमाने पर अमेरिका के एयरबेस हैं. ये एयरबेस 15 साल पुराने हैं. ईरान, इराक, कुवैत, बहरीन, कतर, सऊदी अरब, जॉर्डन, सीरिया, साइप्रस और तुर्किए के आसपास अमेरिका के एयरबेस की भरमार हैं.
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे मिडिल ईस्ट में अमेरिका के लगभग 40 हजार सैनिक मौजूद हैं. ये अमेरिकी जवान मिडिल ईस्ट में अमेरिकी हितों को ध्यान में रखते हुए काम करते हैं. ईरान, इराक और जॉर्डन सहित मिडिल ईस्ट के कई देशों के आसपास अमेरिकी सैन्यअड्डों में इनकी तैनाती है. अमेरिका के इन एयरबेस में अरबों डॉलर के हथियार और सैन्य उपकरण हैं.

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