
न्यूयॉर्क में फ्री फूड की लाइनें, 11 हजार बैंकों पर ताला... वो कड़वी यादें जिससे मंदी से डरता है अमेरिका
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राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ की धमकियों के बीच अमेरिकी बाजार जो कुछ महीने पहले ही ऊफान पर था वो अचानक धड़ाम हो गया है. सोमवार से शेयर बाजार में जोरदार गिरावट देखी गई. नेस्डैक कंपोजिट, एसएंडपी में बड़ा नुकसान देखने को मिला. टेस्ला के शेयर भी धड़ाम हो गए. इस गिरावट से अरबों का नुकसान हुआ है और इसका असर दुनिया भर की बाजार में देखने को मिला है.
सड़कों पर मुफ्त खाने के लिए लंबी कतारें, एक झटके में तबाह हुए लोग और हजारों बैंक पर लगे ताले... ये अमेरिका का वो मंजर है जिसे याद करके न सिर्फ सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका सिहर जाता है बल्कि दुनिया के कई देश भी खौफ में आ जाते हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं अमेरिका में 1929 में आई आर्थिक मंदी की, जिसने अमेरिका को बुरी तरह से तोड़ दिया था. ये किस्सा आज इसलिए मौजूं हैं क्योंकि एक बार फिर अमेरिका के बाजार में हाहाकार है. निवेशकों के अरबों रुपये स्वाहा हो गए हैं और बेरोजगारी का संकट बढ़ गया है.
अमेरिका बाजारों में हाहाकार और मंदी की आहट
राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ की धमकियों के बीच अमेरिकी बाजार जो कुछ महीने पहले ही ऊफान पर था वो अचानक धड़ाम हो गया है. सोमवार से शेयर बाजार में जोरदार गिरावट देखी गई. नेस्डैक कंपोजिट, एसएंडपी में बड़ा नुकसान देखने को मिला. टेस्ला के शेयर भी धड़ाम हो गए. इस गिरावट से अरबों का नुकसान हुआ है और इसका असर दुनिया भर की बाजार में देखने को मिला है. कई एक्सपर्ट मंदी की चेतावनी दे रहे हैं. लेकिन मंदी एक ऐसा शब्द है जिसको सुनते ही अमेरिका सिहर जाता है. इसके पीछे एक कड़वी कहानी है...
बात 1929 की है, जब अमेरिका में आई तबाही
आज से करीब एक शताब्दी पहले यानी साल 1928 के पतझड़ में अमेरिका के भावी राष्ट्रपति हर्बर्ट हूवर ने घोषणा की- ‘हम आज अमेरिका में इतिहास में पहली बार गरीबी पर अंतिम विजय के काफी करीब हैं.’ अधिकांश अमेरिकी नागरिक उनसे सहमत थे. लोगों ने इससे अच्छी जिंदगी को इससे पहले कभी नहीं जिया था. बेरोजगारी दर केवल 4 फीसदी तक थी यानी हर 100 में 96 लोगों के पास कमाई का जरिया था.
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