
'निशानची' रिव्यू: पुरजोर फटा अनुराग कश्यप का बम... बड़े पर्दे पर वन-टाइम नहीं, एनी-टाइम देखने लायक है ये 'फिलम'
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'मेरी फिलम देखो' गाने के साथ आए 'निशानची' के टीजर ने गजब माहौल बनाया था. फिल्म का ट्रेलर बता रहा था कि अनुराग कश्यप ने इसमें 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसे टेवल फूंके हैं. क्या उनके ये क्लासिक मंतर थिएटर में ऑडियंस को नजरबंद कर पाए? पढ़िए 'निशानची' का रिव्यू...
तिलचट्टे सी पर्सनालिटी वाले नशेड़ी, पहलवानों को छुरी घोंप रहे हैं. 'धिना धिन धा' की ताल पर शूटर, लाश गिरा रहे हैं. महिलाएं जहर में 12 घंटे भीगी जुबान से, उसी कौशल से डायलॉग छान रही हैं, जितनी पारंगत वो पकौड़ी छानने में हैं. एक छटपटाती प्रेम कहानी भी है और बाप के बदले की तिलमिलाहट भी. एक्शन इतना रॉ है कि देखने वाला मुट्ठियां भींचे, दांत पीसे, आंखों में खून उतरता महसूस कर ले.
और दांव पर लगी इतनी गंभीर चीजों के बीच एक रंगरूट किडनैपर है, जो कागज पर लिखी धमकी पढ़ने में लड़खड़ा रहा है. पीड़ित को चश्मा लगाकर ये मशक्कत भी खुद करनी पड़ रही है. ये 'फिलम' नहीं, स.नी.मा. है... इसमें कुछ भी साधारण नहीं होगा. बहुत साधकर लगाया गया ये निशाना, आपका दिल कब ठांय से उड़ा देगा, पता भी नहीं चलेगा. क्योंकि इस बार डायरेक्टर अनुराग कश्यप 'निशानची' मोड में हैं.
ऐसा लगता है अपनी लय में गुनगुनाते हुए, रमकर कारोबार चला रहे अनुराग को छेड़कर किसी ने पूछ लिया था- ''गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसा ही कुछ और नहीं है क्या?' वो एक सेकंड ठहरे, तेजी से अपने गोदाम में गए और 'निशानची' लाकर दुकान के काउंटर पर रख दी- 'ये देखिए. वैसे ही पैटर्न में ये नया डिजाईन है और इसमें आपको कलर भी खूब मिल जाएंगे.'
क्या है 'निशानची' का मैटर? बबलू निशानची, रंगीली रिंकू और डबलू से आपकी पहली मुलाकात सीधा बैंक डकैती में होती है. 'टेस्ट द थंडर' करने गई ये तिपहिया गैंग एक ब्लंडर में फंस गई है और बबलू अंदर चले गए हैं. बबलू-डबलू (ऐश्वर्य ठाकरे) जुड़वा भाई हैं. एक शूटर है, दूसरा स्कूटर... कभी मौके पर तुरंत स्टार्ट नहीं होगा. रिंकू (वेदिका पिंटो) एक आर्केस्ट्रा की छबीली डांसर हैं, मगर रंगबाज बबलू की प्रेमिका होने के नाते रंगीली हैं.
जेल में विधिवत कुटाई और थानेदार कमल 'अजीब' के चटख वन-लाइनर्स झेल रहे बबलू के मुंह से एक पॉलिटिशियन अंबिका प्रसाद (कुमुद मिश्रा) का नाम पहली बार सुनाई पड़ता है. अभी तक आप किताब के इंडेक्स में थे. अब पन्ने पलटने शुरू होते हैं. बबलू-डबलू की माताजी, मंजरी (मोनिका पंवार) सामने आती हैं. उनका इंट्रो ना भी दिया जाए तो उनके तेवर से पता चल जाता है कि वो बबलू-डबलू की ही मां हैं.
कहानी 2006 से 1996 में जाती है. मंजरी के स्वर्गीय पति, बबलू-डबलू के पापा, जबरदस्त पहलवान (विनीत कुमार सिंह) की कहानी मिलती है. ये साधारण लोग नहीं हैं, पहले ही जान लीजिए. स्पोर्ट्स पॉलिटिक्स के मारे दो दमदार खिलाड़ी हैं. मंजरी ट्रैप शूटिंग की खिलाड़ी थीं और जबरदस्त, धाकड़ पहलवान.

आशका गोराडिया ने 2002 में एक यंग टेलीविजन एक्टर के रूप में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा था. 16 साल बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया. इसका कारण थकान नहीं, बल्कि एक विजन था. कभी भारतीय टेलीविजन के सबसे यादगार किरदार निभाने वाली आशका आज 1,800 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी की कमान संभाल रही हैं.












