
दो सप्ताह की डेडलाइन दो दिन में खत्म... ईरान पर हमले के दांव से ट्रंप ने दोनों मोर्चे पर लिया भारी रिस्क?
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ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह एक सफल ऑपरेशन था. उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके इस कदम से स्थाई शांति का रास्ता खुलेगा, जहां ईरान के पास अब परमाणु शक्ति बनने की क्षमता नहीं रहेगी. इसके उलट ईरान ने कहा है कि उसके भारी सुरक्षा वाले फोर्डो परमाणु ठिकाने को सिर्फ मामूली नुकसान पहुंचा है.
इजरायल बीते कई दिनों से ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने के लिए अमेरिका की मदद मांग रहा था. खासतौर पर अमेरिकी बंकर बस्टर बम जिनके जरिए ईरान की अंडरग्राउंड न्यूक्लियर साइट्स को टारगेट किया जा सके. आखिरकार जंग के दसवें दिन अमेरिका सीधे तौर पर इसमें शामिल हो चुका है और उसने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकाने फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हमला किया है.
मिडिल ईस्ट की जंग में अमेरिका
अपने दूसरे कार्यकाल में 'शांतिवाहक' बनकर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब अमेरिका को मिडिल ईस्ट की एक और जंग में झौंक दिया है. हालांकि फिलहाल अमेरिका नियंत्रित तरीके पर इस जंग में शामिल हुआ है और ट्रंप ने ईरान से शांति बनाने की अपील भी की है. लेकिन ईरान ने जवाबी कार्रवाई का सीधा ऐलान कर दिया है. अब अमेरिका को इस जंग की कीमत चुकानी पड़ सकती है.
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बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी बार व्हाइट हाउस में वापसी करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को किसी जंग में न झौंकने का वादा किया था. लेकिन ईरान-इजरायल की जंग में वह ना-ना कहते हुए आखिरकार उतर ही गए. राष्ट्रपति बनने के बाद मिडिल ईस्ट में शांति लाने के बजाय, ट्रंप अब एक ऐसे इलाके पर शासन कर रहे हैं जो और भी बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़ा है. एक ऐसी लड़ाई जिसमें अमेरिका एक सक्रिय भागीदार बन चुका है.
शांति आएगी या भड़केगी जंग?

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