
दुनिया का ऐसा देश जहां सैन्य तख्तापलट की 200 कोशिशें हो चुकी हैं!
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अफ्रीकी देश नाइजर में सेना ने राष्ट्रपति को सत्ता से हटाते हुए देश की कमान खुद संभाल ली. फिलहाल वहां बंदूक के दम पर सरकार चलेगी. ये सैन्य तख्तापलट है, जो इससे पहले सूडान से लेकर पाकिस्तान जैसे कई देश झेल चुके. लेकिन एक देश ऐसा भी है, जिसने एक-दो नहीं, लगभग 2 सौ सैन्य तख्तापलट की कोशिशें देखीं. इनमें से कुछ कामयाब भी रहीं.
लगभग हफ्तेभर पहले नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को सेना ने हिरासत में लेते हुए देश का कंट्रोल खुद लेने का ऐलान कर दिया. साथ ही साथ अपने बॉर्डर भी सील कर दिए ताकि कोई दूसरा देश मदद के बहाने न आ जाए. असल में यहां यूरेनियम का भंडार होने की वजह से यूरोपियन यूनियन लगातार मदद की पेशकश कर रहा है. यही कारण है कि नाइजर का मामला काफी उछला हुआ है.आखिर तख्तापलट होते क्यों हैं?
ये तब होता है जब किसी देश की सेना उसके सुप्रीम लीडर पर भी भारी पड़ जाती है. इस समय जो उठापटक होती है, उसे सैन्य बदलाव कहते हैं. वहीं कई बार विपक्ष भी सत्ता पक्ष से ज्यादा मजबूत हो जाता है. ऐसे में भी तख्तापलट होता है, लेकिन इसमें खूनखराबा नहीं या कम होता है. दूसरी तरफ सैन्य बदलाव में सरकार और सेना के बीच लड़ाई होती है, यहां तक कि सरकार के पक्ष में खड़े आम लोगों का भी नुकसान होता है.
कहां होती हैं ये घटनाएं?
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, आमतौर पर सैन्य तख्तापलट वहीं होता है, जहां मानव विकास सूचकांक (HDI) काफी कम होता है. यानी लोग गरीबी, भुखमरी, महंगाई, अराजकता जैसी चीजें झेल रहे हों, वहां सरकार से यकीन कम होने लगता है. सेना जब ये देखती है तो अपनी ताकत बढ़ाने लगती है. वो मौजूदा सत्ता के कई लोगों को अपने पक्ष में कर लेती है और फिर विद्रोह कर देती है. इसके बाद सरकार बेबस हो जाती है. थोड़ी बहुत पुलिस या दूसरे फोर्सेज की मदद से बगावत कुचलने की कोशिश होती है लेकिन सैन्य ताकत के आगे ये कुछ नहीं.
तख्तापलट की ये कोशिश तभी नाकामयाब होती है, जब कोई दूसरा देश मदद भेज दे. जैसे कई देशों के साथ अमेरिका ये करता रहा है. वो सरकार को मदद भेजकर सैन्य बगावत कुचलने में मदद करता है. इससे तख्तापलट तो रुक जाता है, लेकिन अमेरिका का उस देश में दबदबा हो जाता है. बदले में वो सरकार से कई फेवर लेता है, ऐसे आरोप भी उसपर लगते रहे.

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