
'जाट' से 35 साल पहले सनी देओल इस फिल्म से बने थे मास हीरो, आमिर को दी टक्कर, हुई 'शोले' जैसी कमाई
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'जाट' की खासियत ये है कि इस फिल्म में सनी का वो ऑरिजिनल मास अंदाज नजर आ रहा है जो 90s में थिएटर्स में जबरदस्त भीड़ जुटाया करता था. 'जाट' के थिएटर्स में पहुंचने से पहले आपको बताते हैं कि कैसे 35 साल पहले 'घायल' ने सनी को 90s का ऑरिजिनल मास हीरो बना दिया था.
'गदर 2' से ऐतिहासिक कमबैक करने के बाद सनी देओल अब अपनी नई फिल्म 'जाट' लेकर आ रहे हैं. 'जाट' के टीजर और ट्रेलर जनता में बहुत पॉपुलर हुए हैं. तेलुगू इंडस्ट्री में धुआंधार मास फिल्में बनाने के लिए चर्चित डायरेक्टर गोपीचंद मलिनेनी जिस अंदाज में सनी को लेकर आ रहे हैं, वो जनता को बहुत दमदार लग रहा है.
'जाट' की खासियत ये है कि इस फिल्म में सनी का वो ऑरिजिनल मास अंदाज नजर आ रहा है जो 90s में थिएटर्स में जबरदस्त भीड़ जुटाया करता था और सनी के इस मास अंदाज का पहला बड़ा सबूत बनी थी 'घायल'. 'जाट' के थिएटर्स में पहुंचने से पहले आपको बताते हैं कि कैसे 35 साल पहले 'घायल' ने सनी को 90s का ऑरिजिनल मास हीरो बना दिया था.
सनी के करियर का शुरुआती स्ट्रगल सनी देओल ने 1983 में आई रोमांटिक ड्रामा फिल्म 'बेताब' से फिल्मों में कदम रखा था. इसके बाद भी वो कुछ ऐसी ही रोमांटिक थीम वाली फिल्मों में नजर आए जिसमें 'सनी', 'मंजिल मंजिल' और 'सोनी महिवाल' जैसे नाम थे. 1985 में आई 'अर्जुन' सनी को पहली बार एक्शन अवतार में लेकर आई. इस फिल्म में सनी का किरदार भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए कानून अपने हाथों में ले लेता है. जनता को सनी का एक्शन अवतार पसंद भी आया लेकिन फिर ये अवतार मल्टीस्टारर फिल्मों में ज्यादा नजर आने लगा.
एक्शन हीरो के रोल में 'यतीम' (1988) सनी देओल की अगली बड़ी सोलो हिट थी. मगर इस बीच वो 'जबरदस्त', 'सल्तनत', 'राम अवतार' और 'पाप की दुनिया' जैसी कई मल्टी स्टारर फिल्मों में नजर आए. 1989 में तो सनी के खाते में सिर्फ मल्टी-स्टारर फिल्में ही आईं, जिनमें- वर्दी, जोशीले, त्रिदेव और चालबाज जैसे नाम शामिल थे.
इन मल्टी-स्टारर फिल्मों से सनी की पहचान बतौर हीरो तो बनने लगी थी, मगर बतौर स्टार उनका बड़ा धमाका अभी बाकी था. वो धमाका जिसके बाद सिर्फ सनी का नाम ही फिल्मों को खींचने लगे. वो धमाका, जिसके बाद सनी सिर्फ दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों ही नहीं, यूपी-बिहार के कस्बाई थिएटर्स में भी भीड़ जुटाने लगें. और 1990 में सनी के लिए वो फिल्म बनकर आई 'घायल'. सनी का 'मौला जट्ट' अवतार लेकर आई थी 'घायल' 1960 के दशक में पाकिस्तानी राइटर अहमद नदीम कासमी ने उर्दू में एक शॉर्ट स्टोरी लिखी थी, जिसका नाम था 'गंडासा'. कहानी के मुख्य किरदार मौला जट्ट ने जिस तरह अपने बाप के कत्ल का बदला लिया था, उसका ब्यौरा खून खुला देने वाला था. मौला जट्ट को केंद्र में रखकर पाकिस्तान के एक दूसरे राइटर नासिर अदीब ने पाकितान में पहली पंजाबी फिल्म लिखी थी 'वहशी' (1975). फिर 1979 में इस किरदार को वो अपनी फिल्म 'मौला जट्ट' में लेकर आए एक नई कहानी के साथ.
उस दौर में भारत और पाकिस्तान का सिनेमा एक दूसरे की फिल्मों से काफी प्रभावित होता था. यही वजह थी कि 'मौला जट्ट' से इंस्पायर थीम पर बॉलीवुड में भी फिल्में बनाने की कोशिश हुई और इनमें हीरो थे सनी देओल के पिता धर्मेंद्र. कई साल बाद ट्रिब्यून को दिए एक इंटरव्यू में नासिर अदीब ने बताया, 'बॉलीवुड में 'मौला जट्ट' के 5 एडाप्टेशन बने. इसमें से 4 फेल हो गए. तब इनके हीरो धर्मेंद्र ने मुझे कॉल किया और मैंने 'घायल' लिखी.'

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