
चर्चिल, ट्रूमैन और स्टालिन की मीटिंग, ओपेनहाइमर का धमाका और लग गई हिरोशिमा की बर्बादी पर मुहर!
AajTak
16 जुलाई को ओपेनहाइमर ने पहली बार परमाणु बम की विनाशक शक्ति से विश्व का परिचय कराया. ये विज्ञान की अकूत ताकत का ट्रेलर था. इस ट्रेलर का पूरा पिक्चर मात्र 21 दिन बाद 6 अगस्त 1945 को यानी कि आज से ठीक 78 साल पहले हिरोशिमा के आकाश में दिखा. जब बम फटते ही बैंगनी बादलों के बीच सफेद धुएं का एक गुबार 3000 फीट ऊंचा उठा और एक दैत्याकार मशरूम की शक्ल ले ली. लेकिन 16 जुलाई से 6 अगस्त के बीच वर्ल्ड वार के तीन किरदारों चर्चिल, ट्रूमैन और स्टालिन के दरम्यान कूटनीति की कई चालें चली गईं.
हिटलर तो 8 मई 1945 सरेंडर कर चुका था, लेकिन धुरी राष्ट्रों (Axis powers) की एक और ताकतवर शक्ति जापान के ऊपर से जंग की खुमारी अभी भी नहीं उतरी थी. हिटलर की नाजी सेना के हथियार डालने के साथ ही यूरोपियन थियेटर से गन पाउडर की गंध आनी बंद हो गई. लेकिन पैसिफिक रीजन में ज्वार अभी बाकी था. यहां जापान ने जल, थल और नभ में अमेरिका की हवा टाइट कर रखी थी. मुकाबला बराबरी का था.
1 अगस्त 1945 को अगर पैसिफिक वार जोन के नक्शे पर नजर डालें तो कोरिया, ताइवान, दक्षिण पूर्व एशिया और चीन के कई शहरों पर जापान का कब्जा था. 8 मई के बाद अगले लगभग 90 दिनों तक जापान की सेना का जंगी अभियान बेरोक टोक जारी रहा.
हिटलर को धूल चटा चुके दुनिया के तीन चौधरियों ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत तनाशाह जोसेफ स्टालिन और अमेरिका के नए राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन, को जापान का ये अड़ियल रुख अखर रहा था.
पोट्सडैम का मंच और दुनिया की किस्मत लिखने वाले The Big three
द्वितीय विश्व युद्ध के दस्तावेजों में जापान का इतिहास कैसे दर्ज होगा? हार से कराह रही जर्मनी की जनता के साथ कैसा सलूक किया जाए? ये तय करने के लिए 17 जुलाई 1945 को पराजित जर्मनी के पोट्सडैम शहर में द बिग थ्री (The Big three) ट्रूमैन, चर्चिल और स्टालिन की मीटिंग हुई.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान द बिग थ्री मित्र राष्ट्रों ब्रिटेन, अमेरिका और रूस के राष्ट्राध्यक्षों ट्रूमैन, चर्चिल और स्टालिन को कहा जाता था. ये वो तीन शख्सियतें थीं जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नियति ने इस दुनिया के भाग्य की लकीरें तय करने की जिम्मेदारी दी थी.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खास बातचीत में आतंकवाद विषय पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए. इस बातचीत में पुतिन ने साफ कहा कि आतंकवादियों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदि आजादी के लिए लड़ना है तो वह कानून के दायरे में होना चाहिए. पुतिन ने ये भी बताया कि आतंकवाद से लड़ाई में रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.







