
'गैरजरूरी' सहायता रोककर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा अमेरिका, क्यों मदद ने बना रखा है मुखिया?
AajTak
डोनाल्ड ट्रंप फिलहाल खर्चों में कटौती के मूड में हैं और इसका जिम्मा मिला हुआ है एलन मस्क को. दोनों का मानना है कि अमेरिकी करदाताओं के पैसे विदेशियों पर क्यों खर्च हों! इसी तर्क के साथ फंडिंग रोकी जा रही है. लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है. अमेरिका दुनिया का मुखिया भी तभी तक है, जब तक वो मदद करता दिखे, फिर चाहे वो आर्थिक हो, या सैन्य.
डोनाल्ड ट्रंप ने गैरजरूरी अमेरिकी खर्च रोकने का जिम्मा एलन मस्क को दे दिया. इसके बाद से एक के बाद एक कटौतियां हो रही हैं. इसी जद में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) भी आ गई. एजेंसी जिन भी देशों में आर्थिक मदद दे रही थी, उनपर रोक लगने लगी. इनमें भारत भी शामिल है. वैसे यूएस दुनिया के तमाम देशों को कभी लोकतंत्र की रक्षा और कभी मानवीय जरूरतों के हवाले से बड़ी फंडिंग करता रहा.
विदेशी फंडिंग से नाराज हुई अमेरिकी आबादी
कुछ सालों पहले अमेरिकी जनता में एक खास बात पर नाराजगी दिखने लगी. लोगों का कहना था कि उनकी सरकार दूसरे देशों की मदद, और खासकर सैन्य मदद में अच्छे-खासे पैसे लगाती है, जो कि असल में टैक्स देने वालों के पैसे हैं. जहां भी अमेरिकी आर्मी सालों से तैनात है, उन्हें वापस बुलाने की मांग होने लगी. अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी भी असल में इसी गुस्से का नतीजा था.
अब वाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप आ चुके हैं. पूरी जिंदगी बिजनेस कर चुके ट्रंप खोज-खोजकर सारी फिजूलखर्ची रोक रहे हैं, और इस काम को संभाला हुआ है एलन मस्क ने.
मस्क के निशाने पर सबसे पहले यूएसएड आई. ये संस्था दुनियाभर में मानवीय जरूरतों या लोकतंत्र के नाम पर भारी पैसे खर्चती है. यहां तक कि इसके जरिए भारत को भी चुनाव में वोटर्स का प्रतिशत बढ़ाने के लिए लगभग दो करोड़ डॉलर मिलते रहे. इस फंड को रोकने पर ट्रंप का तर्क है कि भारत अमीर देश है, जिसके पास टैक्स से काफी पैसे आते हैं. ऐसे में उसे इस तरह की फंडिंग की जरूरत नहीं. ट्रंप का नजरिया ये भी है कि अमेरिकी करदाताओं के पैसे विदेशियों पर क्यों लगाए जाएं! वे इस रकम को अपने ही लोगों पर खर्च करना चाहते हैं.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खास बातचीत में आतंकवाद विषय पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए. इस बातचीत में पुतिन ने साफ कहा कि आतंकवादियों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदि आजादी के लिए लड़ना है तो वह कानून के दायरे में होना चाहिए. पुतिन ने ये भी बताया कि आतंकवाद से लड़ाई में रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.







