
ईरान के खिलाफ एकजुट हुए 23 देश लेकिन भारत क्यों हटा पीछे?
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ईरान में आम लोगों के खिलाफ मानवाधिकार हनन के मामले को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बुधवार को एक प्रस्ताव पेश किया गया. भारत ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बना ली. इससे पहले भी भारत ने ईरान के खिलाफ यूएन में अमेरिकी प्रस्ताव पर वोट नहीं दिया था. ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारत ईरान के खिलाफ वोटिंग से क्यों परहेज करता है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में सोमवार को ईरान के खिलाफ पेश किए गए एक प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से किनारा कर लिया. UNHRC में पेश किए गए इस प्रस्ताव में ईरान में आम लोगों के खिलाफ मानवाधिकार हनन के मामले को लेकर सरकार की निंदा की गई है.
इस प्रस्ताव के पक्ष में 23 और विपक्ष में 8 देशों ने वोट दिया. जबकि भारत समेत 16 देशों ने इस पर वोटिंग से दूरी बना ली. वोटिंग नहीं देने वाले देशो में भारत, कैमरुन, अल्जीरिया, कोट डिवोर, गैबॉन, जॉम्बिया, जॉर्जिया, मलेशिया, नेपाल, कतर, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका, सूडान, यूएई और उज्बेकिस्तान शामिल है.
इस प्रस्ताव के विरोध में वोट करने वाले देशों में बांग्लादेश, बोलिविया, चीन, क्यूबा, इरीट्रिया, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं.
ऐसा पहली बार नहीं है जब भारत ने ईरान के खिलाफ वोट देने से इनकार कर दिया हो. इससे पहले दिसंबर 2022 में भी भारत ने ईरान के खिलाफ यूएन में अमेरिकी प्रस्ताव पर वोट नहीं दिया था.
पहले भी ईरान के खिलाफ वोटिंग से परहेज
दिसंबर 2022 में जब अमेरिका ने महिला अधिकारों के खिलाफ नीतियों के लिए ईरान को यूएन के महिला अधिकार कमिशन से हटाए जाने का प्रस्ताव लाया था. उस वक्त भी भारत ने वोटिंग प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया था. अमेरिका यह प्रस्ताव ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन को लेकर सरकार की दमनकारी कार्रवाई के खिलाफ लाया था.

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