
इंडस्ट्री में न्यूकमर्स को आसानी से नहीं मिलता काम, पंकज त्रिपाठी की बॉलीवुड को दो टूक
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पंकज का कहना है कि बॉलीवुड में अगर कोई न्यूकमर है तो उसका स्ट्रगल करना निश्चित है, लेकिन बात ये भी है कि उसको शायद काम उतनी जल्दी न मिले, जिसका वो हकदार है. अपने शुरुआत दौर का उदाहरण देते हुए पंकज ने ये बात कही.
हिंदी सिनेमा के एक्टर पंकज त्रिपाठी दर्शकों के बीच अपने काम को लेकर वाहवाही बटोरते नजर आते हैं. पर यहां तक पहुंचने में भी पंकज ने काफी मेहनत की है. स्ट्रगल किया है. इनके लिए ये जर्नी बिल्कुल भी आसान नहीं रही. हाल ही में एक इंटरव्यू में पंकज ने बॉलीवुड की कुछ हकीकत बताई.
पंकज ने खोली पोल पंकज का कहना है कि बॉलीवुड में अगर कोई न्यूकमर है तो उसका स्ट्रगल करना निश्चित है, लेकिन बात ये भी है कि उसको शायद काम उतनी जल्दी न मिले, जिसका वो हकदार है. अपने शुरुआती दौर का उदाहरण देते हुए पंकज ने ये बात कही. पंकज ने कहा- इंडस्ट्री न्यूकमर्स के स्ट्रगलिंग फेज में उन्हें उस तरह मौका नहीं देती है जो वो डिजर्व करते हैं. हिन्दुस्तान टाइम्स संग बातचीत में पंकज ने कहा- हमारी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के साथ कुछ दिक्कत है.
"जो लोग स्ट्रगल करते हैं, उन्हें काम नहीं मिलता है. साल 2004 से 2012 के बीच 2-3 बार कुछ ऐसा हुआ मेरे साथ कि मैं कैमरा फेस नहीं कर पाया. मैं शूट नहीं कर पाया. फिर मुझे कुछ छोटे-मोटे रोल्स मिले. धीरे-धीरे मैं बड़ा हुआ. पॉपुलर हुआ. कई ऑफर्स मुझे मिले, जब भूख ज्यादा लगी होती है तो इंसान का ओवरईटिंग करना सम्भाव होता है. तो मैंने वही किया. मैंने बहुत सारा काम किया. इस दौरान मुझे चीजों को अलग-अलग रखने में दिक्कतें हुईं. आप बस उस समय ट्राय करते हो और कुछ नहीं."
"जब आप एक ही पेंटर की 10 तस्वीरें देखते हैं तो दूर से सभी एक जैसी लगती हैं. क्योंकि उसका वो स्टाइल होता है जो हर पेंटिंग में अलग दिखाई नहीं दे सकता. पर जब आप करीब जाकर वही पेंटिंग्स देखते हैं तो छोटे-छोटे डिफरेंस आपको नजर आते हैं. मेरा भी बस वही एफर्ट है. क्वांटिटी से ज्यादा मैं क्वालिटी पर भरोसा रखता हूं. मैं काम करने लगा हूं. पर जब मैं काम ज्यादा कर रहा था तो मैंने कभी ऑडियन्स से वो टच नहीं खोया. मैंने जितने भी किरदार अदा किए, दूर से भले ही वो सब एक जैसे लगे हों, लेकिन सभी अलग थे."

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