अजरबैजान और आर्मेनिया में किस बात पर है झगड़ा? कभी भी क्यों भिड़ जाते हैं दोनों
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अजरबैजान और आर्मेनिया एक बार फिर भिड़ गए हैं. दो दिन में दोनों देशों के 150 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं. आर्मेनिया ने अजरबैजान पर हमला करने का आरोप लगाया है. आर्मेनिया का दावा है कि अजरबैजान ने नागरिकों की बस्ती पर भी हमले किए हैं. अजरबैजान का जवाब देने के लिए आर्मेनिया ने रूस से मदद मांगी है.
एक ओर रूस-यूक्रेन में जंग चल रही है तो दूसरी ओर आर्मेनिया और अजरबैजान में एक बार फिर से संघर्ष शुरू हो गया है. आर्मेनिया ने अजरबैजान पर हमला करने का आरोप लगाया है. वहीं, अजरबैजान ने इसे आर्मेनिया के 'उकसावे' के बदले की कार्रवाई बताया है. आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने इन आरोपों को खारिज किया है.
दोनों देशों में फिलहाल संघर्ष विराम पर सहमति बन गई है. लेकिन दो दिन में ही दोनों देशों के कम से कम 155 सैनिक मारे गए हैं. दावा है कि अजरबैजान ने आर्मेनिया में नागरिकों की बस्ती पर भी हमला किया था. हालांकि, अभी तक आम नागरिकों की मौत का आंकड़ा नहीं आया है.
अजरबैजान और आर्मेनिया में 27 सितंबर 2020 को भी युद्ध छिड़ गया था. बाद में संघर्ष विराम के बाद युद्ध रुक तो गया, लेकिन दो साल में दोनों देशों के बीच सीमा पर झड़पें होती रहीं हैं. दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर विवाद है.
31 अगस्त को आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हम अलीयेव के बीच ब्रसेल्स में मुलाकात भी हुई थी. इसमें शांति वार्ता पर चर्चा होनी थी.
लेकिन विवाद क्या है?
अजरबैजान और आर्मेनिया, दोनों ही सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करते थे. 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद जो 15 नए देश बने, उनमें अजरबैजान और आर्मेनिया भी थे. हालांकि, दोनों के बीच 1980 के दशक से ही विवाद शुरू हो गया था.