
Sherni Review: जंगल, राजनीति और शेरनी की तलाश, रोमांच की कमी लेकिन बड़ी सीख देती है फिल्म
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विद्या बालन की फिल्म शेरनी अमेजन प्राइम पर रिलीज हो चुकी है. यह कहानी एक वन विभाग की अफसर की है, जो एक शेरनी को बचाने में लगी है. हालांकि उसके रास्ते में गांव के लोग, सरकारी महकमें और लोकल राजनेता संग अन्य परेशानियां खड़ी हैं. कैसी है फिल्म शेरनी और क्या आपको इसे देखना चाहिए? जानिए हमारे रिव्यू में.
हम सभी से शायद बचपन से ही इस बात को सीखा है कि जानवर हमारे दोस्त हैं. उनमें भी जान है और उन्हें भी हमारी तरह दर्द होता है. पहले हाथी मेरे साथी जैसी फिल्मों में हमने इंसान और जानवरों की दोस्ती को देखा है. लेकिन विद्या बालन की फिल्म शेरनी कुछ अलग है और हमें गहराई से सीख देती है. यह कहानी है विद्या विन्सेंट (विद्या बालन) की जो वन विभाग की प्रमुख हैं, जो जंगल में घूम रही, इंसान और जानवरों को मारती शेरनी को सही-सलामत पकड़ना चाहती है. लेकिन उसके रास्ते में रोड़े बहुत हैं. विद्या का बॉस बंसल (बृजेन्द्र काला) अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है और शेरनी को मारने के लिए एक प्राइवेट शिकारी पिंटू भैया (शरत सक्सेना) को ले आता है. साथ ही लोकल राजनेता चुनाव के लिए जंगल और शेरनी को मुद्दा बनाकर राजनीति करने में लगे हैं. ऐसे में विद्या के सामने कई मुश्किलें हैं. अब वो शेरनी को पकड़ पाएगी या पिंटू भैया बीच में आएंगे या फिर चुनाव में खड़े नेताओं का बवाल उसका काम बिगाड़ेगा यही फिल्म में देखने वाली बात है.More Related News

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