
Pakistan Crisis: कर्ज के भरोसे चल रहा पाकिस्तान, IMF से ही 25 करार, फिर भी देश में भुखमरी... इकोनॉमी बदहाल
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Pakistan Crisis: नापाक पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और सीजफायर के बाद फिर से शनिवार रात इसने इसका उल्लंघन किया. एक ओर जहां PAK लगातार गलतियां कर रहा है, तो दशकों से कर्ज लेने के बाद भी उसकी इकोनॉमी बदहाल है.
जब पाकिस्तान पर संकट (Pakistan Crisis) मंडराता है, तो वो अपने मित्र देशों और वैश्विक कर्जदाताओं के आगे कटोरा फैलाने लगता है. कुछ ऐसा ही फिलहाल भारत और पाकिस्तान के बीच चरम पर पहुंचे तनाव (Indo-PAK War Tension) के दौरान देखने को मिला है. पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऐसा एक्शन लिया कि PAK चीन से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तक से आर्थिक मदद की गुहार लगाने लगा. इस बीच China चुप्पी साधे हुए नजर आया, तो शुक्रवार को आईएमएफ से उसे बड़ी राहत मिली है.
वैश्विक निकाय ने पाकिस्तान को मौजूदा एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (Extended Fund Facility) के तहत लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर की किस्त जारी करने की मंजूरी दे दी है. पाकिस्तान बीते 7 दशकों में अब तक आईएमएफ के साथ 25 लोग एग्रीमेंट कर चुका है, लेकिन अरबों डॉलर की मदद के बावजूद इकोनॉमी का हाल जस का तस बना हुआ है.
आतंक की फैक्ट्री, इकोनॉमी बदहाल आतंक की फैक्ट्री चलाने वाले Pakistan को बड़ी आर्थिक मदद ऐसे समय में दी गई है, जबकि भारत के खिलाफ उसकी नापाक हरकतों की दुनिया में थू-थू हो रही है. यही नहीं उसके हमलों को भी भारत की ओर से करारा प्रहार करते हुए विफल किया जा रहा है. आईएमएफ के इस फैसले की भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में आलोचना हो रही है. इतिहास पर नजर डालें, तो न सिर्फ IMF, बल्कि वर्ल्ड बैंक (World Bank) से लेकर एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) तक से उसे भारी भरकम आर्थिक मदद मिलती आ रही है, लेकिन देश के लोगों और देश की इकोनॉमी (Pakistan Economy) की हालत बद से बदतर ही होती गई है. लगातार मदद के बावजूद ये 350 अरब डॉलर के आस-पास है और इस मामले में ये भारत की 4 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के आगे कहीं नहीं टिकता है. इसके पीछे सीधा कारण वैश्विक निकायों से मिलने वाली मदद का इस्तेमाल देश की बढ़ोतरी के बजाय आतंक के फलने-फूलने पर ज्यादा खर्च होता है.
IMF की शुक्रवार को हुई बैठक से पहले भी भारत ने यह दोहराया था कि पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता अप्रत्यक्ष रूप से उसकी खुफिया एजेंसियों और आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की मदद करती है, जो भारत पर हमलों को अंजाम देते रहे हैं. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने फिर भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद की मंजूरी दे दी.
1958 से अब तक इतने लोन एग्रीमेंट अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज मिलने की शुरुआत सात दशक पहले 1958 में हुई थी और पहले बेलआउट पर 8 दिसंबर, 1958 को स्टैंड-बाय अरेंजमेंट के तहत 30 मिलियन डॉलर की राशि के लिए एग्रीमेंट साइन किया गया था और तब से अब तक 25 ऋण समझौते हो चुके हैं. मतलब साफ है कि आज से नहीं बल्कि लंबे समय से Pakistan Economy की गाड़ी उधार के सहारे ही चल रही है. IMF के आंकड़ों को देखें, तो पाकिस्तान के लिए इस अवधि में कुल कुल स्वीकृत राशि 44.57 अरब डॉलर रही और इसमें से अब तक 28.2 अरब डॉलर वैश्विक निकाय ने वितरित किए हैं. इसमें से भी पाकिस्तान पर वर्तमान में आईएमएफ का बकाया 8.3 अरब डॉलर है.

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