
IPO, F&O और स्टॉक... शेयर बाजार का वो डार्क साइड, जहां फंसते हैं 'आप'
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शेयर बाजार में निवेशक को लेकर कई लोग बाते करते हैं, लेकिन उसके डार्क साइड के बारे में कोई नहीं चर्चा करता है. इंडिया टुडे मैग्जीन ने इसे लेकर कुछ स्टडी की है. आइए जानते है स्टॉक मार्केट के इन डार्क साइड के बारे में...
शेयर बाजार की बात आते ही, लोगों के दिमाग में मोटी रकम जमा करने का जरिया ध्यान में आने लगता है. वहीं अगर कोई मार्केट के बारे में भी चर्चा करता है तो इसकी अच्छाईंयों के बारे में ज्यादा बताया है जैसे- म्यूचुल फंड में लगाने से करोड़पति बन सकते हैं, F&O में लगाकर रातोंरात करोड़ों रुपये कमा सकते हैं और पेनी स्टॉक्स मोटी रकम बनाकर दे सकते हैं, लेकिन इसके डार्क साइड की चर्चा बहुत कम लोग करते हैं.
इंडिया टुडे मैग्जीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे निवेशकों को स्टॉक मार्केट में ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. स्टॉक मार्केट में उछाल के साथ ही फाइनेंशियल लॉस भी जुड़ा हुआ है. कई टेक स्टार्टअप्स और फिनटेक फर्मों के शेयर की कीमतें लिस्टिंग के दिन तिगुनी हो गईं, लेकिन उसके तुरंत बाद गिर गईं.
IPO के डार्क साइड Zomato के 2021 में आया था, जिसने पहले ही दिन 50% से ज्यादा की तेजी दिखाई. लेकिन एक साल के भीतर ही शेयर की वैल्यू आधी हो गई. पेटीएम और पॉलिसीबाजार के लिस्टिंग के बाद इसी तरह के उतार-चढ़ाव ने देर से रिटेल सेक्टर में एंट्री करने वाली कंपनियों को नुकसान पहुंचाया. 2024 के अंत की मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 23 और वित्त वर्ष 24 में लगभग 40 प्रतिशत आईपीओ छह महीनों के भीतर अपने आईपीओ प्राइस से नीचे चले गए.
F&O में ट्रेडर्स ने गंवाएं 1.81 लाख करोड़ उदयपुर के 36 वर्षीय कॉलेज टीचर पुनीत गोयल ने शेयर बाजार में हुए अपने प्रॉफिट का इस्तेमाल घर खरीदने में करने की उम्मीद की थी. 2025 की शुरुआत में आए एक तेज गिरावट ने उनके पोर्टफोलियो से 2 लाख रुपये साफ कर दिए, जिससे उन्हें अपनी योजनाएं टालनी पड़ीं. उनके जैसे किस्से अब आम होते जा रहे हैं. सेबी के एक अध्ययन से पता चला है कि वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2024 के बीच, लगभग 1.13 करोड़ पर्सनल ट्रेडर्स ने F&O ट्रेडिंग में सामूहिक रूप से 1.81 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए.
मार्सेल-लस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी एक चेतावनी देते हैं कि मुझे गेमीफिकेशन से कोई समस्या नहीं है, निवेश सहित सभी उद्योगों में चीजों तक पहुंच और उपयोग को आसान बनाना ही आगे बढ़ने का रास्ता होना चाहिए. असली चुनौती सेल्फ कंट्रोल है. अगर निवेशक अपनी स्वार्थी प्रवृत्ति पर लगाम नहीं लगा सकते, तो वे गेमीफिकेशन के साथ या उसके बिना, खुद को ही नुकसान पहुंचाएंगे.













